गरुड़ पुराण (Garuda Purana) हिन्दू धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है, जो मृत्यु, आत्मा और पुनर्जन्म से जुड़े गहरे रहस्यों को उजागर करता है। इसमें न केवल जीवन के बाद होने वाली घटनाओं का वर्णन किया गया है, बल्कि ये भी बताया गया है कि आत्मा (soul) शरीर से किस प्रकार निकलती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मानव शरीर में 9 द्वार होते हैं, जिनमें से आत्मा मृत्यु के समय बाहर निकलती है। ये 9 द्वार हैं: आंखें, कान, नाक, मुख और दोनों उत्सर्जन अंग। आत्मा का किस द्वार से निकलना है, ये व्यक्ति के कर्मों और जीवनशैली पर निर्भर करता है।
शरीर के 9 द्वार और आत्मा का देह त्याग
गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा शरीर के 9 द्वारों में से किसी एक से बाहर निकलती है। ये 9 द्वार हैं – दोनों आंखें, दोनों कान, नाक, मुख, मल-मूत्र के उत्सर्जन अंग। हर द्वार से आत्मा का निकलना अलग प्रकार के जीवन और कर्मों का प्रतीक है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
नाक से प्राण का निकलना
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिन लोगों ने अपना जीवन भगवान की भक्ति और सच्चाई के मार्ग पर बिताया होता है, उनके प्राण नाक से निकलते हैं। ये आत्मा के लिए शुभ संकेत माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक होता है, और उनकी आत्मा स्वर्ग में स्थान पाती है।
उत्सर्जन अंगों से प्राण का निकलना
स्वार्थी, लालची और अधर्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों के प्राण उत्सर्जन अंगों से निकलते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, ये बेहद अशुभ माना जाता है। ऐसे लोग मृत्यु के समय यमदूतों को देखकर घबरा जाते हैं। उनकी आत्मा मल-मूत्र के माध्यम से निकलती है और यमदूत इन्हें गले में पाश बांधकर अपने साथ ले जाते हैं।
आंखों से आत्मा का बाहर निकलना
जो लोग जीवन में मोह-माया में फंसे रहते हैं और मृत्यु के समय भी जीने की अत्यधिक इच्छा रखते हैं, उनके प्राण आंखों से निकलते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों की आंखें मृत्यु के समय उलट जाती हैं। ये आत्मा के बलपूर्वक शरीर से निकलने का प्रतीक है, और ये प्रक्रिया बेहद कष्टदायक होती है।
मुख से आत्मा का निकलना
मुख से आत्मा का निकलना एक शुभ संकेत माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति सदा धर्म के मार्ग पर चलता है और दूसरों की भलाई करता है, उसकी आत्मा मुख से बाहर निकलती है। ये आत्मा स्वर्ग की ओर प्रस्थान करती है और उसे पुण्य कर्मों का फल मिलता है।
कर्मों के आधार पर आत्मा का द्वार चुनना
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में ये स्पष्ट रूप से बताया गया है कि आत्मा का किस द्वार से बाहर निकलना है, ये व्यक्ति के जीवन में किए गए कर्मों पर निर्भर करता है।
जिन लोगों ने अपने जीवन में सच्चाई, ईमानदारी और भक्ति का पालन किया है, उनकी आत्मा नाक या मुख से बाहर निकलती है।
अधर्म, पाप और बुराई के रास्ते पर चलने वाले व्यक्तियों की आत्मा उत्सर्जन अंगों से निकलती है, जो अशुभ माना जाता है।
मोह-माया में फंसे लोगों की आत्मा आंखों से बाहर निकलती है, जो उनके अत्यधिक भावनात्मक लगाव को दर्शाती है।
गरुड़ पुराण का संदेश
गरुड़ पुराण हमें ये सिखाता है कि जीवन में हमारे कर्म ही मृत्यु के बाद हमारी आत्मा के सफर को तय करते हैं। ये ग्रंथ जीवन और मृत्यु के बीच के गहरे संबंध को समझाने का प्रयास करता है। इसका मुख्य संदेश यही है कि व्यक्ति को अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वही आत्मा के स्वर्ग या नरक में जाने का कारण बनते हैं।
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) मृत्यु और आत्मा से जुड़े गहरे रहस्यों को उजागर करता है। ये ग्रंथ हमें ये समझने का अवसर देता है कि मृत्यु केवल शरीर का अंत नहीं, बल्कि आत्मा का एक नए सफर की शुरुआत है।
आत्मा शरीर कैसे छोड़ती है (How Soul Leaves the Body) ये व्यक्ति के कर्मों का प्रतिबिंब है। यदि जीवन में सत्य और धर्म का पालन किया जाए, तो मृत्यु के बाद आत्मा को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
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