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महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू से 100 कौवों की मौत, प्रशासन अलर्ट मोड में

बर्ड फ्लू
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सोलापुर के छत्रपति संभाजी महाराज झील, श्री सिद्धेश्वर महाराज झील और खंदक बाग में पिछले कुछ दिनों में 50 से अधिक कौवों की मौत हो चुकी है। प्रशासन ने उन इलाकों को पूरी तरह सैनिटाइज कर दिया है, जहां मृत कौवे पाए गए थे।

संक्रमण रोकने के लिए उठाए गए कदम
जिस क्षेत्र में मृत कौवे पाए गए, वो सार्वजनिक स्थल है। एहतियात के तौर पर इसे 21 दिनों के लिए बंद किया जाएगा। इसके अलावा, 1 किलोमीटर के दायरे में मौजूद चिकन दुकानों और मुर्गों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग भी इस क्षेत्र के नागरिकों की निगरानी करेगा, ताकि किसी भी संभावित संक्रमण का समय रहते पता लगाया जा सके। हालांकि, प्रशासन ने जनता से घबराने की जरूरत न होने की अपील की है क्योंकि बर्ड फ्लू अब तक इंसानों या मुर्गियों में नहीं फैला है।

बर्ड फ्लू क्या है और कितना खतरनाक है?
बर्ड फ्लू, जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा के नाम से जाना जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है। हालांकि, ये वायरस इंसानों और अन्य जानवरों में भी फैल सकता है। बर्ड फ्लू के कई प्रकार होते हैं, जिनमें H5N1 सबसे खतरनाक माना जाता है। ये वायरस संक्रमित पक्षियों के मल और लार के माध्यम से फैलता है और दूषित सतहों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

क्या खतरा है और कैसे बचा जाए?
H5N1 से संक्रमित पक्षी 10 दिनों तक वायरस छोड़ सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ये वायरस विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों में पाया जाता है, जो इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक फैला सकते हैं। संक्रमण से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। प्रशासन की सलाह है कि खुले में मृत पक्षियों को न छुएं और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें।

बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। अब ये देखना होगा कि आगे इसे रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाते हैं।

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