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India’s Maritime Power: समुंदर में दुश्मनों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, 75 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से बनी चौथी न्यूक्लियर पनडुब्बी तैनात

India's Maritime Power: समुंदर में दुश्मनों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, 75 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से बनी चौथी न्यूक्लियर पनडुब्बी तैनात
India’s Maritime Power: भारत ने अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में चौथी न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी S4 का सफल लॉन्च किया गया है। यह उपलब्धि भारत को समुद्री रक्षा के क्षेत्र में दुनिया के प्रमुख देशों की श्रेणी में खड़ा करने वाली है।

स्वदेशी तकनीक का शानदार प्रदर्शन

भारत की समुद्री ताकत (India’s Maritime Power) में नया अध्याय जोड़ने वाली S4 पनडुब्बी में स्वदेशी तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है। इस पनडुब्बी में 75 प्रतिशत से अधिक घटक भारत में ही विकसित किए गए हैं। भारत की समुद्री ताकत (India’s Maritime Power) को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली यह पनडुब्बी अत्याधुनिक K-4 मिसाइलों से लैस है, जो इसे एक घातक हथियार बनाती हैं।

अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली और तकनीकी विशेषताएं

S4 पनडुब्बी में लगी K-4 मिसाइलें 3,500 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को निशाना बना सकती हैं। वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम से लैस यह मिसाइलें पानी के अंदर से ही दागी जा सकती हैं, जो इसे दुश्मन के लिए और भी खतरनाक बनाती हैं। न्यूक्लियर पनडुब्बी से बढ़ती शक्ति (Growing Power through Nuclear Submarines) का यह नया चरण भारत की रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि करेगा।

नौसेना का बढ़ता सामर्थ्य

वर्तमान में भारतीय नौसेना के बेड़े में INS अरिहंत और INS अरिघाट पहले से ही सक्रिय हैं। INS अरिहंत में 750 किलोमीटर रेंज की K-15 मिसाइलें लगी हैं, जबकि INS अरिघाट में उन्नत K-4 मिसाइलें तैनात हैं। अगले वर्ष INS अरिधमन भी नौसेना में शामिल होगी। इन पनडुब्बियों की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति और मजबूत होगी।

रक्षा क्षमताओं का विस्तार

हाल ही में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने दो और न्यूक्लियर पावर्ड अटैक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दी है। 2028 में रूस की अकुला श्रेणी की एक न्यूक्लियर पावर्ड अटैक पनडुब्बी भी भारतीय नौसेना में शामिल होगी। इसके अलावा, तेलंगाना के विकाराबाद जिले में वेरी लो फ्रीक्वेंसी नेवल स्टेशन की स्थापना से नौसेना की संचार क्षमताएं भी बढ़ेंगी।

समुद्री सुरक्षा का नया आयाम

S4 की विशेष क्षमताएं इसे एक अद्वितीय रणनीतिक संपत्ति बनाती हैं। यह पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकती है और परमाणु ईंधन की वजह से इसकी रेंज असीमित है। इसकी स्टील्थ तकनीक इसे दुश्मन के रडार से बचाए रखती है, जबकि इसकी उन्नत सोनार प्रणाली दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम है।

स्वदेशी विकास और भविष्य की योजनाएं

भारत का परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम देश की स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग से यह परियोजना साकार हुई है। आने वाले समय में और अधिक उन्नत पनडुब्बियों के निर्माण की योजना है, जो भारत को समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी।

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