असम के चराईदेव जिले में अहोम साम्राज्य के शाही परिवारों के लिए बनी कब्रगाह ‘मोईदाम’ को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है।
क्या है मोईदाम?
मोईदाम, असम के शाही परिवारों की कब्रें हैं, जिनकी तुलना मिस्र के पिरामिडों से की जाती है। इन कब्रगाहों का निर्माण 13वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, जब ताई-अहोम असम में आकर बसे थे। 19वीं सदी तक उन्होंने इस परंपरा को जारी रखा।
सिफारिश क्यों की गई?
आईसीओएमओएस (यूनेस्को की स्मारकों और स्थलों पर अंतरराष्ट्रीय परिषद) ने माना कि मोईदाम ताई-अहोम की 600 साल पुरानी परंपराओं को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि यह कब्रगाहें ताई-अहोम की अंत्येष्टि परंपराओं और उनसे जुड़े ब्रह्मांड विज्ञान का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
कब और कहां बनी पहली राजधानी?
ताई-अहोम ने चराईदेव को अपनी पहली राजधानी और शाही कब्रिस्तान के लिए चुना। उन्होंने 90 मोईदाम का निर्माण किया, जो अब भी चराईदेव कब्रिस्तान में स्थित हैं।
कब होगा निर्णय?
आईसीओएमओएस ने नई दिल्ली में 21-31 जुलाई को होने वाले विश्व विरासत समिति के 46वें सामान्य सत्र के लिए रिपोर्ट तैयार की है। इसमें दुनियाभर से कुल 36 नामांकनों का मूल्यांकन किया गया, जिनमें से भारत की ओर से सिर्फ अहोम मोईदाम का आवेदन है।
मोईदाम का निर्माण कैसे होता है?
मोईदाम को ईंट, पत्थर या मिट्टी से बनाया जाता है। इसमें एक टीले के ऊपर अष्टकोणीय दीवार के बीच में एक मंदिर होता है।
क्या है आईसीओएमओएस?
आईसीओएमओएस, यूनेस्को की एक परामर्शदात्री संस्था है जो दुनियाभर में वास्तुकला और परिदृश्य विरासत के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए समर्पित है। इसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय प्राधिकारियों के प्रतिनिधि, कंपनियां और विरासत संगठन शामिल हैं।
आईसीओएमओएस की सिफारिश के बाद, मोईदाम अब औपचारिक रूप से यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने के करीब है। यह अंतिम निर्णय के लिए सिर्फ एक कदम पीछे है।
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