मुंबई का भीखा बेहराम कुआं, जो पारसी-ज़ोराष्ट्रियन समुदाय के लिए पवित्र स्थल है, बड़े बदलाव के लिए तैयार है। साल 2025 में अपनी 300वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी में कुएं के आसपास कई सुधार किए जाएंगे।
भीखा बेहराम कुआं मुंबई की एक ऐतिहासिक जगह है। पारसी-ज़ोराष्ट्रियन समुदाय के लिए यह बहुत पवित्र माना जाता है। ज़ोराष्ट्रियन धर्म में पानी को विशेष महत्व दिया जाता है, और यह कुआं उसी का प्रतीक है।
मुंबई का ऐतिहासिक भीखा बेहराम कुआं बड़े बदलाव के लिए तैयार है। पारसी-ज़ोराष्ट्रियन समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण यह कुआं साल 2025 में अपनी 300वीं वर्षगांठ मनाएगा, और इसे मनाने के लिए कई बदलाव किए जाएंगे। इनमें एक नया सार्वजनिक पानी का फव्वारा, एक छोटा संग्रहालय, चित्रों की एक गैलरी, और एक मेहराब (arch) शामिल हैं। इन बदलावों से लोगों के लिए यह जगह और दिलचस्प बनेगी, साथ ही कुएं की ऐतिहासिक अहमियत को भी बनाए रखा जाएगा।
पारसी-ज़ोराष्ट्रियन समुदाय के लोग यहां रोज़ प्रार्थना करने आते हैं। ‘अवा रोज़’ यानी ‘जल दिवस’ जैसे विशेष अवसरों पर यहां बड़ी सभाएं होती हैं। इस कुएं के ज़रिए ज़ोराष्ट्रियन धर्म के प्रमुख तत्व, जल, को सम्मान दिया जाता है।
इस बदलाव के प्रोजेक्ट को कई लोगों का समर्थन मिला है। इलाके के पूर्व नगरसेवक मकरंद नार्वेकर ने हाल ही में कुएं के कंपाउंड की पेंटिंग और टाइलिंग का खर्च उठाया था। भारतीय जनता पार्टी की कोलाबा विधानसभा सीट के पारसी सेल के अध्यक्ष दिनयार मेहता ने इस प्रोजेक्ट के नक्शे तैयार करवाने में अहम भूमिका निभाई है। भीखा बेहराम कुएं के ट्रस्टी भी इस प्रोजेक्ट में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और कुएं पर होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं।
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बदलाव के बाद भीखा बेहराम कुआं और भी खूबसूरत और आकर्षक हो जाएगा। इसके ज़रिए इस कुएं की समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संभाल कर रखा जाएगा।