बॉम्बे हाई कोर्ट के एक अहम फैसले में यह कहा गया है कि सरकारी बैंक उन उधारकर्ताओं के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी नहीं कर सकते जिन्होंने लोन चुकाने में चूक की है। यह नियम भारतीय और विदेशी नागरिकों, दोनों पर लागू होगा।
जस्टिस गौतम पटेल और माधव जामदार की बेंच ने केंद्र सरकार के उस ऑफिस मेमोरेंडम को असंवैधानिक बताया है जिसमें सरकारी बैंकों के चेयरमैन को डिफॉल्ट करने वाले उधारकर्ताओं के खिलाफ LOC जारी करने का अधिकार दिया गया था।
इस फैसले के चलते, सरकारी बैंकों द्वारा जारी किए गए सभी LOC रद्द हो जाएंगे। कोर्ट ने ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन को भी ऐसे LOCs पर कार्यवाही न करने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो LOC किसी ट्रिब्यूनल या आपराधिक अदालत (क्रिमिनल कोर्ट) के आदेश पर जारी किए गए हैं, उन पर इस फैसले का असर नहीं होगा।
सरकारी बैंक चाहें तो अदालत या ट्रिब्यूनल से संपर्क करके LOC जारी करवा सकते हैं। जजों ने इस बात पर जोर दिया है कि केंद्र का ऑफिस मेमोरेंडम असंवैधानिक नहीं था, मगर उसका वह हिस्सा अवैध था जिसमें सरकारी बैंक के चेयरमैन को LOC जारी करने का अधिकार दिया गया था।
यह फैसला उन याचिकाओं पर आया है जिनमें लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी करने से जुड़े दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई थी। 2018 में इन दिशा-निर्देशों में बदलाव कर ‘भारत के आर्थिक हित’ को भी LOC जारी करने का आधार बना दिया गया था।