अगर कभी आप भी किसी अपने को लेकर प्राइवेट अस्पताल गए हैं, तो ये खबर ज़रूर पढ़िए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्राइवेट अस्पतालों की लूट पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को बेवजह भर्ती किया जाता है और मनमाने बिल थमा दिए जाते हैं। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ये तक कह दिया कि वो सभी अस्पतालों पर केंद्रीय सरकार की स्वास्थ्य योजना (CGHS) की दरें लागू कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में एक गैर-सरकारी संस्था (NGO) ने याचिका दायर कर देश भर के अस्पतालों में इलाज के लिए एक जैसी दरें तय करने की मांग की थी। इसके जवाब में कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों पर ये टिप्पणी की।
कोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट अस्पताल मरीजों को लूटने का अड्डा बन गए हैं। डॉक्टर और अस्पताल मिलकर ज़रूरत से ज़्यादा जांचें लिखते हैं, दवाइयां देते हैं, और कई बार तो बेवजह मरीज को भर्ती तक कर लेते हैं। अदालत ने साफ किया कि पैसा कमाने की ऐसी नीयत ठीक नहीं है और सभी अस्पतालों को सस्ती दरों पर इलाज मुहैया कराना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में व्याप्त लालच और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। कोर्ट की ये चेतावनी एक उम्मीद जगाती है कि शायद अब आम आदमी की गाढ़ी कमाई पर डाका डालने वाले निजी अस्पतालों पर कुछ लगाम लग सके।
कोर्ट ने राज्य सरकारों को छह हफ्ते का समय देते हुए कहा कि अगर वो अस्पतालों की मनमानी पर रोक नहीं लगा पाईं, तो सुप्रीम कोर्ट खुद हस्तक्षेप कर सभी अस्पतालों पर CGHS रेट लागू कर देगा। CGHS सरकारी कर्मचारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली बीमा योजना है और इसकी दरें प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में काफी कम हैं।