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CCS मंत्रालय: नीतीश और नायडू की चाहत पर BJP का इनकार

CCS मंत्रालय: नीतीश और नायडू की चाहत पर BJP का इनकार

CCS मंत्रालय: इस बार के चुनावों में टीडीपी और जेडीयू ने किंगमेकर की भूमिका निभाई है। लेकिन बड़ा मंत्रालय चाहते हुए भी, बीजेपी ने दृढ़ता से कहा कि वो गठबंधन धर्म निभाएगी, लेकिन सरकार सिर झुकाकर नहीं चलाएगी। गृह, रक्षा, वित्त, और विदेश मंत्रालय, जो कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) का हिस्सा हैं, बीजेपी ने अपने पास ही रखने का फैसला किया है।

क्या है CCS मंत्रालय?

CCS (Cabinet Committee on Security) देश की सुरक्षा संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। प्रधानमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होते हैं और गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य होते हैं। देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, कानून व्यवस्था, और विदेश नीति जैसे महत्वपूर्ण मामलों में अंतिम निर्णय CCS का ही होता है।

बीजेपी क्यों नहीं छोड़ना चाहती CCS मंत्रालय?

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता गृह, रक्षा, वित्त, या विदेश मंत्रालय में से एक की जिम्मेदारी चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने साफ इनकार कर दिया। बीजेपी का मानना है कि इन मंत्रालयों पर नियंत्रण रखना जरूरी है ताकि पीएम मोदी को बड़े नीतिगत मामलों में अपने सहयोगियों पर निर्भर न होना पड़े।

अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर भी BJP की नजर

बीजेपी ने सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और रेल मंत्रालय जैसे अहम विभाग भी अपने पास रखने का फैसला किया है। पिछले 10 वर्षों में इन मंत्रालयों में हुए बड़े कामकाज को देखते हुए बीजेपी इन्हें किसी सहयोगी दल को सौंपने से हिचक रही है। हाईवे, एक्सप्रेस-वे, पुल, टनल निर्माण, रेल पटरियों का दोहरीकरण, विद्युतीकरण, बुलेट ट्रेन, और वंदे भारत ट्रेन जैसे प्रोजेक्ट्स को बीजेपी सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि मानती है।

गठबंधन धर्म और मंत्री पद

बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वो अपने सहयोगियों को फूड प्रोसेसिंग, भारी उद्योग, ऊर्जा, टेक्सटाइल, ग्रामीण विकास, और पंचायती राज जैसे मंत्रालय देने की पक्षधर है। वहीं, लोकसभा स्पीकर का पद भी बीजेपी अपने पास ही रखना चाहती है, क्योंकि गठबंधन सरकार में सहयोगी दल के समर्थन वापस लेने की स्थिति में स्पीकर का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है।

टीडीपी और जेडीयू भले ही किंगमेकर बनकर उभरे हों, लेकिन बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि सरकार को स्थिर और सशक्त बनाए रखने के लिए कुछ अहम मंत्रालयों पर उनका नियंत्रण जरूरी है। गठबंधन धर्म निभाते हुए भी बीजेपी ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर दिया है।

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