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होटल से कोर्ट तक का सफर: उमर अब्दुल्ला और पायल नाथ की प्रेम कहानी अब सुप्रीम कोर्ट में तलाक के मुकदमे तक

उमर अब्दुल्ला, पायल नाथ

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी पत्नी पायल नाथ की प्रेम कहानी एक रोमांचक और विवादास्पद यात्रा रही है। यह कहानी दिल्ली के एक होटल से शुरू हुई और अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। आइए इस कहानी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

उमर अब्दुल्ला और पायल नाथ की मुलाकात दिल्ली के एक प्रतिष्ठित होटल में हुई थी। उस समय उमर होटल ग्रुप के मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के रूप में कार्यरत थे, जबकि पायल भी वहीं काम करती थीं। दोनों के बीच मित्रता धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। हालांकि, उनके रिश्ते की राह आसान नहीं थी।

उमर और पायल अलग-अलग धर्मों से संबंध रखते थे। उमर मुस्लिम परिवार से थे, जबकि पायल हिंदू परिवार से। इस धार्मिक अंतर के कारण उन्हें अपने प्यार को स्वीकृति दिलाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। समाज और परिवार दोनों से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन, अपने प्यार की दृढ़ता के बल पर, वे इन सभी बाधाओं को पार कर गए।

लंबे संघर्ष के बाद, 1994 में उमर और पायल ने विवाह कर लिया। उनकी शादी भारत में अंतर-धार्मिक विवाह का एक प्रमुख उदाहरण बन गई। इस दंपति ने दो बेटों – जाहिर और जमीर को जन्म दिया। पायल नाथ ने अपना व्यवसाय भी शुरू किया और दिल्ली में एक सफल ट्रांसपोर्ट कंपनी की मालकिन बनीं। उनके पिता, मेजर जनरल रामनाथ, भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं।

उमर अब्दुल्ला ने एक सफल राजनीतिक करियर बनाया और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री तक पहुंचे। इस दौरान, पायल ने अपने व्यवसाय को संभाला और बच्चों की देखभाल की। हालांकि, समय के साथ उनके रिश्ते में दरारें आनी शुरू हो गईं।

वैवाहिक संकट और कानूनी लड़ाई: 17 साल की शादी के बाद, उमर और पायल के रिश्ते में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गईं। उमर ने दिल्ली हाईकोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की, जिसमें उन्होंने पत्नी द्वारा क्रूरता का आरोप लगाया। हालांकि, हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि उनके आरोप पर्याप्त रूप से स्पष्ट नहीं थे।

हाईकोर्ट से निराश होकर, उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि उनका वैवाहिक संबंध अब सुधारा नहीं जा सकता और वे तलाक चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पायल नाथ को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पायल को 6 सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इस समय, उमर और पायल का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। अगली सुनवाई 30 अगस्त को निर्धारित की गई है। इस मामले का परिणाम न केवल इस जोड़े के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह भारत में अंतर-धार्मिक विवाहों और उच्च प्रोफाइल तलाक मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी बन सकता है।

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