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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: दोनों पवार को झटका देंगे नवाब मलिक? निर्दलीय लड़ने की अटकलें

नवाब मलिक, निर्दलीय

महाराष्ट्र में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। इस बीच, एनसीपी के नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक की हरकतों ने सबका ध्यान खींचा है। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझें।

नवाब मलिक की बढ़ती सक्रियता: नवाब मलिक ने अपने विधानसभा क्षेत्र में काम तेज कर दिया है। ऐसी खबरें हैं कि वे इस बार चुनाव में अकेले उतर सकते हैं, यानी किसी पार्टी के बिना लड़ सकते हैं।

मलिक का राजनीतिक सफर: नवाब मलिक 65 साल के हैं। वे मुंबई की अनुशक्ति नगर सीट से पिछली बार एनसीपी के टिकट पर जीते थे। उन्होंने पहली बार 1996 में चुनाव जीता था। 2014 में वे हार गए थे, लेकिन 2019 में फिर जीत गए। मलिक कई बार मंत्री भी रहे हैं और कुछ समय के लिए समाजवादी पार्टी में भी थे।

निर्दलीय चुनाव की चर्चा: अब चर्चा है कि मलिक इस बार अकेले चुनाव लड़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह अजित पवार के समूह के लिए बुरी खबर हो सकती है। उनकी एक सीट कम हो सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर अजित पवार का समूह मलिक को नहीं लेता, तो वे शरद पवार के साथ जा सकते हैं।

पिछली सरकार में भूमिका: मलिक पिछली एमवीए सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री थे। वे अभी एक मामले में जमानत पर बाहर हैं। पिछले साल जब वे विधानसभा में सत्ता पक्ष की तरफ बैठे थे, तो बहुत हंगामा हुआ था।

मुस्लिम वोटरों पर असर: अगर मलिक महायुति (बीजेपी और शिंदे गुट का गठबंधन) से चुनाव लड़ते हैं, तो उनके मुस्लिम वोट बंट सकते हैं। इससे महायुति को नुकसान हो सकता है। लेकिन अगर वे अकेले लड़ते हैं, तो महायुति के लिए कोई समस्या नहीं होगी।

नवाब मलिक के अकेले चुनाव लड़ने की बात ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि मलिक आखिर किस रास्ते पर चलते हैं और इसका चुनावों पर क्या असर पड़ता है।

नवाब मलिक का यह कदम महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। उनका फैसला न केवल उनके राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि राज्य की राजनीति पर भी गहरा असर डाल सकता है।

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