उत्तर प्रदेश में होने वाले दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी इज्जत का सवाल बना लिया है। लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कम सीटें जीतने के बाद, योगी इन उपचुनावों में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
मंत्रियों की फौज तैनात
योगी ने हर सीट पर अपने मंत्रियों को लगा दिया है। हर जगह एक बड़ा मंत्री और दो छोटे मंत्री तैनात किए गए हैं। करहल और कुंदरकी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर तो दो-दो बड़े मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है। कुल मिलाकर 13 बड़े और 17 छोटे मंत्री इस चुनाव में जुटे हुए हैं।
मंत्रियों को खास हिदायत
बुधवार को एक मीटिंग में योगी ने मंत्रियों को कहा कि वे हफ्ते में कम से कम दो रातें चुनाव वाले इलाकों में गुजारें। इससे वे वहां की तैयारियों पर नजर रख सकेंगे और लोगों से सीधे बात कर सकेंगे।
उपचुनाव की सीटें
यूपी में कुंदरकी, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, फूलपुर, मझवा, मीरापुर, गाजियाबाद, खैर और सीसामऊ में उपचुनाव होना है। सीसामऊ की सीट एक विधायक के जेल जाने से खाली हुई है, बाकी सीटों के विधायक सांसद बन गए हैं।
बीजेपी के लिए चुनौतियां
बीजेपी कह रही है कि वह सभी दस सीटें जीतेगी, लेकिन समाजवादी पार्टी की पांच सीटों पर मुश्किल है। सीसामऊ और कुंदरकी में मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। कटेहरी में लालजी वर्मा का असर है, करहल से अखिलेश यादव खुद विधायक थे। मिल्कीपुर अयोध्या के सांसद की सीट थी।
सहयोगी दलों की मांग
बीजेपी के साथी दल निषाद पार्टी और रालोद भी अपनी-अपनी सीटें मांग रहे हैं। निषाद पार्टी मझवा और फूलपुर चाहती है, रालोद मीरापुर और खैर पर दावा कर रही है। विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस ने मझवा, गाजियाबाद, खैर और फूलपुर मांगी हैं। हो सकता है अखिलेश यादव गाजियाबाद के अलावा एक और सीट कांग्रेस को दे दें।
बीजेपी की योजना
बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि पार्टी लगभग सभी सीटों पर खुद ही लड़ेगी, सिर्फ मीरापुर रालोद को दी जा सकती है। बीजेपी चाहती है कि सभी सीटें जीती जाएं और इसके लिए पार्टी के अंदर के झगड़े खत्म किए जा रहे हैं।
इन उपचुनावों में योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के लिए बहुत कुछ दांव पर है। वे हर हाल में जीत हासिल करना चाहते हैं। अब देखना यह है कि क्या योगी की यह बड़ी रणनीति काम आएगी या विपक्ष इस बार बीजेपी को चौंका पाएगा।
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