मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, एक बार फिर से राजनीतिक उथल-पुथल के केंद्र में आ गई है। इस बार विवाद का विषय है धारावी – एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक, जिसे अब विकास के नाम पर एक नए अवतार में ढालने की कोशिश की जा रही है। लेकिन इस विकास की प्रक्रिया ने एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार और अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने एक ऐसी घोषणा की, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी महाराष्ट्र में सत्ता में आती है, तो वे गौतम अडानी की कंपनी को दी गई धारावी पुनर्विकास परियोजना की निविदा रद्द कर देंगे। यह घोषणा न केवल धारावी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मुंबई के विकास के मॉडल पर भी सवाल उठाती है।
उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में एक महत्वपूर्ण बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धारावी के निवासियों को 500 वर्ग फीट का घर मिलना चाहिए, वो भी उसी स्थान पर जहां वे अभी रहते हैं। यह मांग धारावी के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके लिए यह केवल एक घर नहीं, बल्कि उनकी पहचान और आजीविका का स्रोत भी है।
ठाकरे ने अपने हमले में वर्तमान शिंदे सरकार को भी नहीं बख्शा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह धारावी की जमीन अडानी को देकर मुंबई को ‘अडानी सिटी’ बनाने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने सरकार की ‘लाडला मित्र’ योजना पर भी सवाल उठाए, कहते हुए कि यह केवल कुछ खास उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है।
उद्धव ठाकरे ने एक महत्वपूर्ण बिंदु पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि धारावी केवल एक झुग्गी बस्ती नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत औद्योगिक क्षेत्र है, जहां कई छोटे उद्योग चलते हैं। यह बात धारावी के विकास के मॉडल को लेकर एक नई बहस छेड़ती है। क्या विकास का मतलब सिर्फ बड़ी-बड़ी इमारतें बनाना है, या फिर मौजूदा आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखते हुए जीवन स्तर में सुधार लाना है?
ठाकरे ने अडानी समूह पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि धारावी में 590 एकड़ का प्लॉट है, जिसमें से 300 एकड़ में हाउसिंग सेक्शन है। बाकी में माहिम नेचर पार्क और टाटा पावर स्टेशन है। उन्होंने आरोप लगाया कि अडानी को दिए गए टेंडर में बढ़ी हुई फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) का जिक्र नहीं है, जो कि एक बड़ी चूक है।
उद्धव ठाकरे ने धारावी के विकास के बारे में एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि धारावी का विकास तभी होना चाहिए जब वहां के लोगों का उचित पुनर्वास किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि धारावी के विकास के लिए नई जगहों की तलाश की जा रही है और पुनर्वास के बाद ही वहां का विकास होना चाहिए। यह सुझाव धारावी के निवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
उद्धव ठाकरे के इस बयान ने न केवल धारावी के निवासियों के बीच, बल्कि पूरे मुंबई में एक नई बहस छेड़ दी है। यह बहस शहरी विकास, आर्थिक नीतियों और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन को लेकर है। क्या बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा किया जाने वाला विकास ही एकमात्र विकल्प है, या फिर स्थानीय समुदायों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक समावेशी विकास मॉडल अपनाया जा सकता है?
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है। क्या वह उद्धव ठाकरे के आरोपों का जवाब देगी? क्या धारावी पुनर्विकास परियोजना की समीक्षा की जाएगी? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या धारावी के निवासियों की आवाज इस पूरी प्रक्रिया में सुनी जाएगी?
यह विवाद केवल एक शहर या एक राज्य तक सीमित नहीं है। यह देश के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – हम किस तरह का विकास चाहते हैं? क्या हम ऐसा विकास चाहते हैं जो कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाए, या फिर ऐसा विकास जो समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चले? धारावी का भविष्य इन सवालों के जवाब पर निर्भर करेगा, और शायद इन जवाबों से पूरे देश के शहरी विकास का भविष्य तय होगा।