महाराष्ट्र की सियासत में हलचल: महाराष्ट्र की राजनीति में चुनावी सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं। भले ही अब तक चुनाव के तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक हलचलें काफी तेज हो चुकी हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से वरिष्ठ नेता शरद पवार ने मुलाकात की, जिसने महाराष्ट्र की सियासय के माहौल को काफी गर्म कर दिया है। इस मुलाकात पर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन दोनों ही पार्टी की ओर से अब तक किसी तरह की कोई बयानबाजी नहीं की गई है। हालाेंकि इस मुलाकात मे कयासों के बाजार को गर्म जरूर कर दिया है।
शरद पवार और एकनाथ शिंदे की मुलाकात
सूत्रों के अनुसार, ये बैठक मुंबई के मालाबार हिल इलाके में राज्य सरकार के गेस्ट हाउस ‘सह्याद्री’ में हुई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई। बताया जा रहा है कि इस बातचीत का प्रमुख मुद्दा मराठा आरक्षण था।
बैठक पर चुप्पी
बैठक के बाद जब शरद पवार बाहर निकले, तो उनकी चुप्पी ने सियासी अटकलों को और बढ़ा दिया। न केवल शरद पवार, बल्कि उनकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुलाकात पर चुप्पी साध ली। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि शरद पवार बड़े नेता हैं और वो मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं, इस पर कांग्रेस को कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
मराठा आरक्षण पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, बैठक में करीब 20 मिनट तक मराठा आरक्षण पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शरद पवार को अब तक मराठा आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी दी। साथ ही मुख्यमंत्री शिंदे ने शरद पवार को आश्वासन दिया कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी। इसके लिए सभी दलों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर शरद पवार और सीएम शिंदे की मुलाकात पर कांग्रेस असहज नजर आई। कांग्रेस इस मसले पर ज्यादा कुछ बोलने से बच रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि शरद पवार बड़े नेता हैं और वो मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं। इस मुलाकात पर कांग्रेस को कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
वैसे जो भी हो, एक बात तो है कि महाराष्ट्र की राजनीति में इस मुलाकात ने सियासी तापमान को बढ़ा दिया है। मराठा आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर ये बातचीत चुनावी माहौल को और गरमा सकती है। अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाते हैं और किस तरह से राजनीतिक समीकरण बनते हैं।
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