देश-विदेश

पन्ना की खदान से निकला 80 लाख का हीरा: राजू गौड़ को कितना पैसा मिलेगा और क्या है सरकार का हिस्सा?

राजू गौड़,पन्ना की खदान, 80 लाख का हीरा,

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में एक ऐसी घटना घटी है, जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती। यहाँ एक साधारण मजदूर की जिंदगी एक पल में बदल गई। यह कहानी है राजू गौड़ नाम के एक मजदूर की, जिसने अपनी मेहनत और किस्मत के बल पर 80 लाख रुपये की कीमत का हीरा खोज निकाला। आइए इस रोचक कहानी को विस्तार से जानते हैं।

राजू गौड़ पिछले दस साल से पन्ना की हीरा खदानों में काम कर रहा था। हर दिन की तरह, बुधवार को भी वह अपनी खदान में काम कर रहा था। लेकिन उस दिन कुछ अलग होने वाला था। अचानक उसकी नजर एक चमकदार पत्थर पर पड़ी। उसने उसे उठाया और देखा तो पाया कि वह एक बड़ा हीरा था। राजू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने तुरंत इस हीरे को सरकारी अधिकारियों के पास ले जाकर जमा करा दिया।

जब इस हीरे की जाँच की गई, तो पता चला कि यह 19.22 कैरेट का एक बेहद कीमती हीरा है। विशेषज्ञों ने इसकी कीमत लगभग 80 लाख रुपये आंकी है। यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई। एक साधारण मजदूर के पास इतनी बड़ी कीमत का हीरा होने की बात सुनकर हर कोई हैरान था।

लेकिन क्या राजू को पूरे 80 लाख रुपये मिलेंगे? यह सवाल हर किसी के मन में आ रहा था। सरकारी नियमों के अनुसार, हीरे की नीलामी की जाएगी। उससे जो पैसा मिलेगा, उसमें से सरकार कुछ हिस्सा अपने पास रखेगी और बाकी राजू को दिया जाएगा। सरकार 30 प्रतिशत आयकर और 12 प्रतिशत रॉयल्टी काटेगी। इस हिसाब से, राजू को करीब 46 लाख रुपये मिलने की उम्मीद है।

46 लाख रुपये भी राजू जैसे मजदूर के लिए बहुत बड़ी रकम है। जब उससे पूछा गया कि वह इस पैसे का क्या करेगा, तो उसने बताया कि वह अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएगा और खेती के लिए जमीन खरीदेगा। राजू की यह सोच दिखाती है कि वह अपने परिवार के भविष्य के बारे में कितना सोचता है।

पन्ना की हीरा खदानों का इतिहास बहुत पुराना है। करीब 300 साल पहले यहाँ पहली बार हीरे की खोज हुई थी। उस समय ये खदानें राजपरिवार के अधीन थीं। आजादी के बाद इनका प्रबंधन सरकार के हाथ में आ गया। अब जिला प्रशासन लोगों को इन खदानों के पट्टे देता है। 1961 से यह काम हीरा कार्यालय के जिम्मे है।

पन्ना में हीरा खोजने का तरीका बहुत मेहनत भरा है। पहले सरकारी पट्टा लेना पड़ता है, जिसकी कीमत 250 रुपये होती है और जो छह महीने के लिए वैध होता है। फिर खुदाई शुरू होती है। मिट्टी और पत्थरों को खोदकर निकाला जाता है। फिर उन्हें पानी से धोया जाता है। इस प्रक्रिया में अगर कोई हीरा होता है, तो वह चमक उठता है।

भारत में कहीं भी हीरा मिलने पर उसे सरकारी हीरा कार्यालय को देना जरूरी है। यह कानून है। अगर कोई ऐसा नहीं करता, तो उसे सजा हो सकती है। सरकार हीरे की नीलामी करती है और उससे मिले पैसे में से टैक्स और रॉयल्टी काटकर बाकी राशि हीरा खोजने वाले को देती है।

पन्ना जिले में हीरों का बहुत बड़ा भंडार है। अनुमान है कि यहाँ 12 लाख कैरेट हीरे हैं। इसलिए यह जगह बहुत महत्वपूर्ण है। हर साल कई लोग यहाँ अपनी किस्मत आजमाने आते हैं। कुछ को सफलता मिलती है, जैसे राजू को मिली, जबकि कई लोग खाली हाथ लौट जाते हैं।

राजू गौड़ की कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और धैर्य का फल मीठा होता है। वह दस साल से लगातार काम कर रहा था और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई। यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो कड़ी मेहनत करते हैं और अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।

इस घटना से पन्ना जिले का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यह घटना न केवल राजू के जीवन को बदलेगी, बल्कि अन्य मजदूरों को भी प्रेरित करेगी। वे भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए और अधिक मेहनत करेंगे। इस तरह, एक साधारण मजदूर की सफलता की कहानी पूरे समुदाय के लिए उम्मीद की किरण बन गई है।

राजू की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि प्रकृति के पास अनगिनत खजाने छिपे हुए हैं। हमारे देश की धरती में ऐसे कई रत्न छिपे हैं जो अभी खोजे जाने बाकी हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल करें और उनकी रक्षा करें।

ये भी पढ़ें: 25 जुलाई 2024 का राशिफल: आज का दिन आपके लिए क्या लाया है?

You may also like