भारत की परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। तमिलनाडु के कलपक्कम में बन रहे एक खास किस्म के परमाणु रिएक्टर को चालू करने की इजाजत मिल गई है। इस रिएक्टर का नाम है प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, जिसे संक्षेप में PFBR कहा जाता है। यह भारत का सबसे आधुनिक और जटिल परमाणु रिएक्टर है। इसे ईंधन भरने की मंजूरी मिलने से भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
PFBR एक अनोखा रिएक्टर है जो साधारण रिएक्टरों से बिल्कुल अलग है। इसमें प्लूटोनियम नाम के पदार्थ का इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जाता है। इस रिएक्टर की सबसे खास बात यह है कि यह जितना ईंधन खर्च करता है, उससे ज्यादा ईंधन बना लेता है। इसी वजह से इसे ‘ब्रीडर’ यानी ‘पैदा करने वाला’ रिएक्टर कहा जाता है। इस रिएक्टर में तेज गति से चलने वाले न्यूट्रॉन का इस्तेमाल होता है, इसलिए इसे ‘फास्ट’ ब्रीडर रिएक्टर कहते हैं।
PFBR 500 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है, जो कि एक बड़े शहर की जरूरत पूरी करने के लिए काफी है। इस रिएक्टर में तरल सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है ताकि रिएक्टर को ठंडा रखा जा सके। यह एक बहुत ही जटिल और उन्नत तकनीक है जिसे भारत ने खुद विकसित किया है।
PFBR की मंजूरी से भारत को कई फायदे होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब भारत थोरियम का इस्तेमाल परमाणु ईंधन के रूप में कर सकेगा। भारत के पास थोरियम का बहुत बड़ा भंडार है। अगर हम थोरियम का इस्तेमाल कर सकें, तो भारत ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है। यानी, हमें दूसरे देशों से ईंधन मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस रिएक्टर को बनाने में करीब 20 साल लगे हैं। इसे बनाने में इतना समय इसलिए लगा क्योंकि यह अपनी तरह का पहला रिएक्टर है। दुनिया में कोई भी देश इतनी जटिल तकनीक दूसरे देश को नहीं देता। इसलिए भारत को यह तकनीक खुद ही विकसित करनी पड़ी। यह भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की बड़ी कामयाबी है।
PFBR को बनाने में कई भारतीय कंपनियों ने मदद की है। 200 से ज्यादा कंपनियों ने इसके निर्माण में योगदान दिया है। इसमें छोटी और मझोली कंपनियां भी शामिल हैं। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक अच्छा उदाहरण है। इससे न सिर्फ बड़ी कंपनियों को फायदा हुआ है, बल्कि छोटी कंपनियों को भी अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिला है।
PFBR से परमाणु कचरे की समस्या भी कम होगी। यह रिएक्टर पुराने ईंधन का इस्तेमाल करके नया ईंधन बनाता है। इससे परमाणु कचरा कम होगा और पर्यावरण पर कम असर पड़ेगा। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है क्योंकि परमाणु कचरे का निपटान एक बड़ी चुनौती है।
PFBR की सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया है। यह एक उन्नत तीसरी पीढ़ी का रिएक्टर है जिसमें कई सुरक्षा सुविधाएं हैं। परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड ने इसकी सुरक्षा की कई बार जांच की है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि रिएक्टर पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके चलने से किसी तरह का खतरा नहीं है।
इस रिएक्टर से भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी। भारत के पास यूरेनियम का कम भंडार है, लेकिन थोरियम बहुत है। PFBR से भारत थोरियम का इस्तेमाल कर सकेगा और अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकेगा। यह भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।
PFBR की सफलता के बाद, भारत और भी फास्ट ब्रीडर रिएक्टर बनाने की योजना बना रहा है। कलपक्कम में ही दो और ऐसे रिएक्टर बनाने की योजना है। इससे भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता और बढ़ेगी। इस रिएक्टर से भारत की वैज्ञानिक क्षमता भी बढ़ेगी। यह दुनिया के सबसे जटिल रिएक्टरों में से एक है। इसे बनाकर भारत ने दिखा दिया है कि वह उच्च तकनीक के क्षेत्र में भी आगे है।
PFBR से बिजली की कीमत भी कम हो सकती है। हालांकि यह एक महंगा प्रोजेक्ट है, लेकिन लंबे समय में यह सस्ती बिजली पैदा कर सकता है। इससे आम लोगों को फायदा होगा। सस्ती बिजली से न सिर्फ घरों में, बल्कि उद्योगों में भी काम आसान होगा।
इस रिएक्टर से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी बेहतर होगी। यह दिखाएगा कि भारत उन्नत तकनीक में भी आगे है और अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर सकता है। यह भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना देगा।