हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। रिपोर्ट में सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। विपक्ष ने JPC जांच की मांग की है, जबकि सरकार और अडानी ग्रुप ने आरोपों को खारिज किया है। यह मामला भारतीय राजनीति और मार्केट को प्रभावित कर सकता है।
सेबी प्रमुख पर हिंडनबर्ग का बम: क्या मचेगा राजनीतिक भूचाल?
हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में तहलका मचा दिया। इस रिपोर्ट ने सेबी (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है यह पूरा मामला और क्यों मच गया है इतना बवाल।
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच के पास कुछ ऐसी विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी थी, जो अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों से जुड़ी थीं। यह खुलासा होते ही देश की राजनीति गरमा गई। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तुरंत इस मामले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग कर दी।
राहुल गांधी ने एक वीडियो में कहा, “सेबी की प्रमुख पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। ये आरोप बम की तरह फूटे हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि माधबी पुरी बुच ने अब तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले को फिर से अपने आप संज्ञान में लेगा।
इस बीच, अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को झूठा करार दिया है। उनका कहना है कि ये सारे आरोप पहले ही कोर्ट में खारिज हो चुके हैं। अडानी ग्रुप ने कहा, “यह रिपोर्ट बिल्कुल बेबुनियाद है। इसमें सिर्फ पुराने झूठे दावों को दोहराया गया है।”
दूसरी तरफ, सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने भी इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे अपने पद से जुड़े सभी नियमों का पालन करती रही हैं और किसी गड़बड़ी में शामिल नहीं रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी JPC जांच की मांग की है। उनका कहना है कि छोटे और मझोले निवेशकों को सुरक्षा की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले की जांच रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे देश की संस्थाएं कमजोर हो रही हैं।
BJP के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस रिपोर्ट को “विदेशी हमला” बताया है। उनका कहना है कि इसका मकसद भारत की अर्थव्यवस्था को हिलाना है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट कांग्रेस और विदेशी ताकतों की मिलीभगत का नतीजा है, जो भारत की तरक्की रोकना चाहते हैं।
लेफ्ट पार्टियों के नेता सीताराम येचुरी और डी. राजा ने भी JPC जांच की मांग की है। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और RJD के मनोज कुमार झा ने भी इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट (Hindenburg Research Report) ने भारत की राजनीति और मार्केट में हलचल मचा दी है। अब देखना यह है कि क्या इस मामले की JPC जांच होगी या फिर यह मुद्दा भी धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा। लेकिन एक बात तय है कि अगले कुछ दिनों तक यह मुद्दा गरमाया रहेगा और इसके राजनीतिक असर देखने को मिलेंगे।
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