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कनाडा की नई इमिग्रेशन पॉलिसी से छात्रों में मचा हाहाकार, सड़कों पर उतरे हजारों विदेशी छात्र

कनाडा की नई इमिग्रेशन पॉलिसी से छात्रों में मचा हाहाकार, सड़कों पर उतरे हजारों विदेशी छात्र

कनाडा में पढ़ रहे हजारों विदेशी छात्रों के लिए मुश्किल वक्त आ गया है। नई इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण उन्हें अपने सपनों को छोड़कर वापस लौटने का खतरा है। आइए जानें कि आखिर क्या है पूरा मामला और क्यों छात्र सड़कों पर उतरे हैं।

कनाडा में विदेशी छात्रों की मुसीबत: क्यों मंडरा रहा है निर्वासन का खतरा?

कनाडा की धरती पर पढ़ने आए हजारों विदेशी छात्रों के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। जस्टिन ट्रूडो सरकार ने इमिग्रेशन के नियमों में बदलाव किया है, जिससे करीब 70,000 छात्रों को अपना बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ सकता है। इनमें कई भारतीय छात्र भी शामिल हैं। आइए समझते हैं कि आखिर क्या है पूरा मामला।

नए नियम क्या कहते हैं?

ट्रूडो सरकार ने फैसला किया है कि वो छात्रों के स्टडी परमिट नहीं बढ़ाएगी। यानी जिन छात्रों का परमिट इस साल खत्म हो रहा है, उन्हें वापस अपने देश लौटना होगा। इसके अलावा, सरकार ने स्थायी निवास देने के नियम भी कड़े कर दिए हैं। अब 25% कम लोगों को ही स्थायी निवास मिल पाएगा।

छात्रों का क्या कहना है?

छात्रों का कहना है कि उन्होंने कनाडा आने के लिए अपनी जान लगा दी। पढ़ाई की, नौकरी की, टैक्स भरा। अब अचानक उन्हें बताया जा रहा है कि वो यहां नहीं रह सकते। कई छात्रों ने तो अपने परिवार की सारी बचत इस सपने में लगा दी। अब उनके सामने वापस लौटने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

क्या कर रहे हैं छात्र?

छात्र इस फैसले के खिलाफ पूरे कनाडा में प्रदर्शन कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि सरकार उनके स्टडी परमिट बढ़ाए और उन्हें स्थायी निवास दे। कई शहरों में रैलियां निकाली जा रही हैं। कुछ जगहों पर तो छात्र महीनों से धरने पर बैठे हैं।

आगे क्या होगा?

अभी तक सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया है। लेकिन छात्रों का कहना है कि वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उनका मानना है कि वो कनाडा की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं और उन्हें मौका मिलना चाहिए।

इस मामले ने एक बार फिर विदेशों में पढ़ने जाने वाले छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों को सामने ला दिया है। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रूडो सरकार छात्रों की मांगों पर विचार करती है या फिर हजारों छात्रों को अपने सपने अधूरे छोड़कर लौटना पड़ेगा।

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