बोरीवली-विरार रेलवे लाइन प्रोजेक्ट: मुंबई के बोरीवली से विरार तक पांचवीं और छठी रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए बंबई उच्च न्यायालय ने 2,612 मैंग्रोव पेड़ों को काटने की अनुमति दी है। यह परियोजना मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के तहत चल रही है और इसका उद्देश्य शहर में ट्रैफिक की भीड़ को कम करना, प्रदूषण को घटाना और ईंधन की बचत करना है।
मैंग्रोव काटने की अनुमति क्यों दी गई? बंबई उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने इस परियोजना को जनता के व्यापक हित में बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह रेलवे लाइन परियोजना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ट्रैफिक जाम कम होगा और ट्रेन सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा।
रेलवे ने इस परियोजना के लिए मैंग्रोव काटने की अनुमति मांगी थी क्योंकि वर्तमान में मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में ट्रेन की सुविधाएं बहुत सीमित हैं, जिससे यात्रियों को भीड़ और समय की समस्या का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि 7,823 नए मैंग्रोव पेड़ लगाए जाएंगे ताकि पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई की जा सके।
परियोजना का महत्व और इसके फायदे: पश्चिम रेलवे की यह परियोजना 2,184 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है, जिसके तहत 26 किलोमीटर लंबी नई लाइनों का निर्माण होगा। यह नई लाइनें बोरीवली से विरार के बीच चलने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ाने में मदद करेंगी, जिससे यात्रियों के लिए सेवाएं अधिक सुलभ होंगी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रेलवे प्रणाली एक पर्यावरणीय रूप से अनुकूल सार्वजनिक परिवहन माध्यम है। इस परियोजना के पूरा होने से प्रदूषण कम होगा, ईंधन की बचत होगी और सड़कों पर भीड़भाड़ भी घटेगी। यह भी देखा गया कि इस प्रोजेक्ट के अलावा और कोई व्यवहारिक विकल्प नहीं है, क्योंकि यह स्थान मौजूदा रेलवे ट्रैक के बगल में ही स्थित है और इसका तकनीकी और आर्थिक दृष्टिकोण से सही होना प्रमाणित किया गया है।
मैंग्रोव संरक्षण और पुनर्वास की योजना: भले ही मैंग्रोव काटने की अनुमति दी गई हो, लेकिन अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि पर्यावरणीय क्षति की भरपाई हो। इसलिए, रेलवे को निर्देश दिया गया है कि 7,823 नए मैंग्रोव पेड़ों को रोपित किया जाए ताकि पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।
यह परियोजना मुंबई शहर के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल यातायात की समस्या को हल करेगी, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है।
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