दुश्मन संपत्ति क़ानून के तहत होगी नीलामी: परवेज मुशर्रफ, जो पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति रहे हैं, उनकी पुश्तैनी ज़मीन उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में स्थित है। इस संपत्ति को भारत सरकार दुश्मन संपत्ति (Enemy Property) क़ानून के तहत नीलाम करने जा रही है। 13 बीघा ज़मीन का यह टुकड़ा, जो कोताना बागर गाँव में स्थित है, भारतीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद अब ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचा जाएगा। आइए समझते हैं कि दुश्मन संपत्ति क्या होती है और इसका यह नीलामी क्या मायने रखती है।
दुश्मन संपत्ति क़ानून क्या है?
दुश्मन संपत्ति वह संपत्ति है जो भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान या उसके बाद पाकिस्तान जाने वालों की होती है। 1965 और 1971 के युद्धों के बाद, कई लोगों ने भारत से पाकिस्तान की नागरिकता ले ली, जिसके चलते उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया। 1962 में बने ‘डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट’ के तहत यह संपत्ति भारतीय दुश्मन संपत्ति कस्टोडियन (Custodian of Enemy Property) के अंतर्गत आती है।
मुशर्रफ की संपत्ति का इतिहास और नीलामी का कारण
परवेज मुशर्रफ के परिवार की ज़मीन का यह हिस्सा उस समय दुश्मन संपत्ति में शामिल हो गया जब उनका परिवार पाकिस्तान की ओर चला गया। भारतीय कानून के मुताबिक, जो लोग भारत छोड़कर दुश्मन देश की नागरिकता लेते हैं, उनकी संपत्ति को भारत सरकार जब्त कर सकती है। इस क़ानून का उपयोग सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन से संबंधित संपत्तियों के लिए भी होता है, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद जब्त की गई थीं।
क़ानूनी प्रक्रिया और संसोधन
2017 में दुश्मन संपत्ति क़ानून में संशोधन किया गया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दुश्मन देश से संबंधित व्यक्तियों की संपत्ति भारतीय सरकार के अधिकार में रहे, चाहे उनका उत्तराधिकारी भारतीय नागरिक ही क्यों न हो। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के चलते संपत्ति के उत्तराधिकारियों को संपत्ति के दावे का अधिकार मिल गया था, लेकिन इस संशोधन के बाद यह अधिकार समाप्त कर दिया गया। इसके तहत सरकार को यह अधिकार दिया गया कि वह दुश्मन संपत्तियों को नीलामी के ज़रिए बेच सके।
नीलामी का महत्त्व और प्रभाव
इस नीलामी के बाद यह संपत्ति पूरी तरह से भारत सरकार के अधिकार में चली जाएगी। ऐसे मामलों में जहां संपत्ति के उत्तराधिकारी दावा करते हैं, यह क़ानून उन्हें रोकता है। इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण संपत्तियों को इसी कानून के तहत बेचा जा चुका है, जिनमें महमूदाबाद के राजा की संपत्ति शामिल है। उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी कई दुश्मन संपत्तियां हैं, जिन्हें भविष्य में नीलामी के लिए रखा जा सकता है।
भारत सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि दुश्मन संपत्ति कानून के तहत किसी भी संपत्ति को जब्त करने और नीलाम करने का अधिकार पूरी तरह से सरकार के पास है। इस क़ानून के तहत संपत्तियों की नीलामी भारत की सुरक्षा और क़ानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है, जो पाकिस्तान और चीन से जुड़े संपत्ति मामलों को सुलझाने में मदद करती है।
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