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भारत के विकास से डरने वाली ताकतें सफल नहीं होंगी: मोहन भागवत का बयान

भारत के विकास से डरने वाली ताकतें सफल नहीं होंगी: मोहन भागवत का बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक किताब के विमोचन के दौरान देश की विकास यात्रा पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें नहीं चाहतीं कि भारत प्रगति करे, और इसके लिए वे हर संभव प्रयास कर रही हैं। भागवत ने इस संघर्ष को छत्रपति शिवाजी महाराज के समय के संघर्षों से जोड़ते हुए कहा कि अब भी भारत के विकास की राह में कई बाधाएं हैं। आइए, इस मुद्दे पर गहराई से विचार करें।

भारत के विकास की राह में बाधाएं

मोहन भागवत के अनुसार, कुछ तत्व भारत के विकास को रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि ये ताकतें सिर्फ भौतिक या राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से भी विनाशकारी हो सकती हैं। भागवत ने कहा कि अतीत में भारत पर ‘बाहरी’ हमले साफ दिखाई देते थे, लेकिन अब ये हमले अलग-अलग रूपों में सामने आ रहे हैं, जिन्हें पहचानना मुश्किल हो गया है।

भागवत ने कहा कि इन तत्वों को डर है कि अगर भारत का व्यापक पैमाने पर विकास होता है, तो उनके कारोबार बंद हो जाएंगे। इस कारण वे हर संभव तरीके से भारत के विकास को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने शिवाजी महाराज के समय का उदाहरण देते हुए कहा कि तब भी भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन धर्म और जीवनी शक्ति के बल पर भारत ने उस चुनौती का सामना किया था।

जीवनी शक्ति और धर्म की भूमिका

आरएसएस प्रमुख ने अपने बयान में कहा कि भारत की जीवनी शक्ति ही हमारे राष्ट्र का आधार है, और यह धर्म पर आधारित है। उन्होंने कहा कि धर्म सृष्टि के आरंभ से ही अस्तित्व में था और अंत तक इसकी जरूरत रहेगी। भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि धर्म का अर्थ सिर्फ पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक जीवनदर्शन है जो भारत के विकास और उन्नति का मूल आधार है।

भागवत ने कहा कि आज के समय में जो चुनौतियां भारत के सामने हैं, वे भी उसी जीवनी शक्ति के बल पर ही हल हो सकती हैं। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की स्थिति से आज के हालातों की तुलना करते हुए कहा कि भारत के पास वह शक्ति है जिससे वह इन सभी बाधाओं को पार कर सकता है।

भारत के उत्थान के लिए आत्मविश्वास जरूरी

भागवत ने अपने भाषण में भारतीयों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जिन ताकतों को भारत के विकास से भय है, वे असफल होंगी। भारत का उत्थान केवल एक सपना नहीं है, बल्कि यह हमारी जीवनी शक्ति और धर्म के आधार पर पूरी होने वाली एक हकीकत है। उन्होंने भारतीय समाज को सतर्क और संगठित रहने की अपील की, ताकि देश की विकास यात्रा को बाधित करने वाली कोई भी ताकत सफल न हो सके।

मोहन भागवत का यह बयान भारत के विकास को रोकने वाली ताकतों के खिलाफ एक चेतावनी है। यह भारतीय समाज को अपने धर्म और जीवनी शक्ति के प्रति जागरूक रहने और देश के उत्थान के लिए सतर्क रहने का आह्वान है। भागवत के अनुसार, भारत का विकास रुकने वाला नहीं है, और यह हमारी जीवनी शक्ति और धर्म के बल पर ही संभव हो पाएगा।

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