उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का मामला लंबे समय से विवादों में है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी संबंधित पक्षों को लिखित दलीलें जमा करने का निर्देश दिया है। यह फैसला हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें उसने 2020 और 2022 की चयन सूचियों को रद्द करने और नए चयन की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए थे। इस फैसले के बाद प्रदेश के हज़ारों शिक्षक अपनी नौकरी खोने के डर से घिरे हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए साफ कहा कि फिलहाल हाईकोर्ट का फैसला स्थगित रहेगा। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले पर अंतिम सुनवाई होगी और कोर्ट इस पर अपने कानूनी दृष्टिकोण से निर्णय देगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले की गहनता से समीक्षा करना चाहता है, इसलिए अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। तब तक सभी पक्षों को अपनी-अपनी लिखित दलीलें जमा करनी होंगी।
हाईकोर्ट का फैसला: किसकी किस्मत पर लगी रोक?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी 69000 सहायक शिक्षकों की चयन सूची को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वह 2019 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर तीन महीने में नई चयन सूची जारी करे। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट जनरल कैटेगरी की मेरिट में आता है, तो उसे जनरल कैटेगरी में ही माना जाएगा।
भर्ती प्रक्रिया पर क्यों छाया संकट?
हाईकोर्ट के इस फैसले से उन शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडराने लगे थे, जो पहले से ही चयनित होकर काम कर रहे थे। बड़ी संख्या में शिक्षकों को डर था कि इस आदेश के बाद उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के चलते कई शिक्षकों ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी गई है।
आगे की प्रक्रिया और संभावनाएं
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 7-7 पन्नों की लिखित दलीलें जमा करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने दो नोडल एडवोकेट्स भी नियुक्त किए हैं जो इस मामले की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। यूपी सरकार को भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट का अंतिम निर्णय आने तक भर्ती प्रक्रिया को लेकर असमंजस बना रहेगा, और प्रदेश के हजारों शिक्षकों की भविष्य पर निर्भरता कोर्ट के अंतिम फैसले पर टिकी है।
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