False records created in police station: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने हाल ही में कोर्ट में एक बड़ा दावा किया है जो सबको चौंका देने वाला है।
पुलिस स्टेशन में बनाए गए झूठे रिकॉर्ड (false records created in police station) का खुलासा
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि उनकी जांच में कुछ नए तथ्य सामने आए हैं। उनका कहना है कि ताला पुलिस स्टेशन में इस केस से जुड़े कुछ गलत रिकॉर्ड बनाए गए थे या फिर उन्हें बदला गया था। यह खुलासा बहुत गंभीर है क्योंकि इससे पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
सीसीटीवी फुटेज की जांच
सीबीआई ने यह भी बताया कि उन्हें पुलिस स्टेशन का सीसीटीवी फुटेज मिला है। इस फुटेज को जांच के लिए शहर की एक बड़ी फोरेंसिक लैब में भेजा गया है। इससे यह पता चल सकता है कि वहां क्या-क्या हुआ था।
आरजी कर मामले में जांच (investigation in RG Kar case) की नई दिशा
इस मामले में सीबीआई ने कई लोगों से पूछताछ की है। इनमें ताला थाने के इंचार्ज अभिजीत मंडल और मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष भी शामिल हैं। दोनों से हिरासत में पूछताछ की गई। इससे केस की जांच को नई दिशा मिली है।
गिरफ्तारियों का सिलसिला
सीबीआई ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की हैं। सबसे पहले 10 अगस्त को मुख्य संदिग्ध संजय रॉय को पकड़ा गया। फिर 14 सितंबर को अभिजीत मंडल और 15 सितंबर को संदीप घोष को गिरफ्तार किया गया। ये गिरफ्तारियां केस में उनकी भूमिका के आधार पर की गईं।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल उठे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या पुलिस ने शुरुआत में ठीक से जांच की थी? क्या कुछ सबूतों को छिपाया गया था? इन सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं। कोलकाता पुलिस ने अभी तक इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है।
जांच का अगला कदम
सीबीआई अब इस केस की बारीकी से जांच कर रही है। वे हर छोटी-बड़ी बात पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के एक डॉक्टर से भी कई बार पूछताछ की है। उनसे पूछा गया कि नियमों के खिलाफ जाकर रात में पोस्टमार्टम क्यों किया गया। साथ ही यह भी पूछा गया कि सबूत इकट्ठा करने में इतनी जल्दी क्यों की गई।
डॉक्टरों का विरोध और वापसी
इस घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने लंबे समय तक काम बंद रखा। वे अपने साथी की मौत के विरोध में 40 दिनों से ज्यादा समय तक हड़ताल पर रहे। हालांकि अब वे धीरे-धीरे काम पर लौट रहे हैं। फिलहाल सिर्फ जरूरी और इमरजेंसी सेवाएं ही शुरू हुई हैं।
आगे की राह
यह केस अब एक नए मोड़ पर आ गया है। सीबीआई की जांच से कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं। अब देखना यह है कि आगे क्या-क्या खुलासे होते हैं। इस बीच लोग न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
इस पूरे मामले ने हमारे समाज और सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना बताती है कि हमें अपने स्वास्थ्य सेवा और कानून व्यवस्था में कई बदलाव करने की जरूरत है। साथ ही यह भी जरूरी है कि हम सभी मिलकर एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण समाज बनाने की दिशा में काम करें।
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