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Kashmir Election: संसद हमले में फांसी की सजा पाए अफजल गुरु का भाई भी चुनाव मैदान, इस मुद्दे पर मांग रहे हैं वोट

Kashmir Election: संसद हमले में फांसी की सजा पाए अफजल गुरु का भाई भी चुनाव मैदान, इस मुद्दे पर मांग रहे हैं वोट
कश्मीर चुनाव (Kashmir Election) में एक नया मोड़ आया है। जम्मू-कश्मीर की सोपोर विधानसभा सीट से एक ऐसे शख्स चुनाव लड़ रहे हैं, जिनके परिवार का इतिहास काफी विवादास्पद रहा है। यह शख्स हैं एजाज अहमद, जो 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के बड़े भाई हैं। एजाज ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है, जो कई लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है।

कश्मीर चुनाव (Kashmir Election) की इस नई कहानी में एजाज अहमद एक अलग राह चुनते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनका कहना है कि उनके लिए सबसे पहले देश आता है, फिर जम्मू-कश्मीर। यह बयान उनके भाई अफजल गुरु के विचारों से बिल्कुल अलग है, जो अलगाववाद की राह पर चल पड़े थे। एजाज चुनाव प्रचार के दौरान विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं, जो दर्शाता है कि वे मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होना चाहते हैं।

एजाज की राजनीतिक यात्रा

एजाज अहमद के लिए राजनीति में प्रवेश एक बड़ा कदम है। वे अपने परिवार की पहली पीढ़ी हैं जो चुनावी राजनीति में उतरी है। पहले वे पशुपालन विभाग में नौकरी करते थे, लेकिन अब उन्होंने राजनीति को अपना नया करियर चुना है। उनका मानना है कि सोपोर क्षेत्र के विकास के लिए स्थानीय नेतृत्व की जरूरत है, क्योंकि पिछले नेताओं ने केवल अपना विकास किया है, क्षेत्र का नहीं।

अनुच्छेद 370 और राज्य का दर्जा

एजाज का मानना है कि अनुच्छेद-370 और 35ए अब वापस नहीं आ सकते। हालांकि, वे जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की उम्मीद करते हैं। उनका कहना है कि कश्मीरी लोग पूर्ण राज्य की बहाली के लिए वोट कर रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि एजाज वर्तमान राजनीतिक वास्तविकताओं को स्वीकार करते हुए भी, क्षेत्र के लिए कुछ महत्वपूर्ण मांगें रख रहे हैं।

विकास का एजेंडा

एजाज अपने चुनाव प्रचार में सोपोर के विकास पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी है और रोजगार के अवसर सीमित हैं। वे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की बात कर रहे हैं। इस तरह से, वे पारंपरिक राजनीतिक मुद्दों से हटकर विकास के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

अफजल गुरु का प्रभाव

हालांकि एजाज चुनाव प्रचार में अपने भाई अफजल गुरु का जिक्र नहीं करते, लेकिन उनकी उम्मीदवारी ने कई लोगों का ध्यान खींचा है। एजाज का कहना है कि उनका रास्ता अफजल से अलग है। वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से बदलाव लाना चाहते हैं, न कि हिंसा या अलगाववाद के जरिए।

चुनौतियां और संभावनाएं

एजाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने परिवार के इतिहास से ऊपर उठकर लोगों का विश्वास जीतना है। उन्हें अपने भाई के कारनामों से खुद को अलग दिखाना होगा और लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि वे वास्तव में क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे। साथ ही, उन्हें स्थापित राजनीतिक दलों और उनके मजबूत नेटवर्क का सामना करना होगा।

जम्मू-कश्मीर राजनीति परिवर्तन (Jammu-Kashmir Political Change) की दिशा में एजाज अहमद का कदम एक महत्वपूर्ण घटना है। यह दर्शाता है कि क्षेत्र में राजनीतिक विचारधारा बदल रही है और नए नेता मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने के लिए तैयार हैं। एजाज की उम्मीदवारी से यह भी पता चलता है कि लोग अब विकास और बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देना चाहते हैं, न कि केवल राजनीतिक या वैचारिक बहसों पर।

सोपोर के मतदाताओं के सामने अब एक चुनौतीपूर्ण निर्णय है। उन्हें तय करना होगा कि क्या वे एक ऐसे उम्मीदवार को मौका देंगे जिसके परिवार का इतिहास विवादास्पद रहा है, लेकिन जो अब विकास और मुख्यधारा की राजनीति की बात कर रहा है। यह चुनाव न केवल सोपोर के लिए, बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है कि लोग किस तरह की राजनीति और नेतृत्व चाहते हैं।

एजाज अहमद की यात्रा दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने परिवार के अतीत से ऊपर उठकर एक नई शुरुआत कर सकता है। उनकी कहानी कश्मीर के युवाओं के लिए एक उदाहरण हो सकती है, जो शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से अपने क्षेत्र में बदलाव लाना चाहते हैं।

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