महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Elections) में जीत सुनिश्चित करने के लिए जातिगत समीकरण साधने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी, माधव (MADHAV) फॉर्मूला के जरिए ओबीसी वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है। माधव फॉर्मूला तीन प्रमुख ओबीसी जातियों माली, धनगर और वंजारा का प्रतिनिधित्व करता है, जो महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
बीजेपी का यह कदम न केवल चुनावी जीत सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि राज्य में ओबीसी मतदाताओं की खोई हुई पकड़ को भी वापस पाने का प्रयास है। पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मराठवाडा और पश्चिमी महाराष्ट्र के इलाकों में भारी नुकसान उठाना पड़ा था, जिसके बाद पार्टी अब महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Elections) में जीत के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
माधव (MADHAV) फॉर्मूला: क्या ओबीसी वोट बैंक फिर से बीजेपी के साथ होगा?
महाराष्ट्र में जातिगत समीकरण साधने की कोशिश (Efforts to Balance Caste Equations) की शुरुआत बीजेपी ने माधव फॉर्मूले से की है। माली, धनगर और वंजारा जातियां महाराष्ट्र के ओबीसी समुदाय का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ये तीनों जातियां चुनावी नतीजों को बदलने की क्षमता रखती हैं। पिछली बार बीजेपी को इन समुदायों का समर्थन मिला था, लेकिन हाल के वर्षों में मराठा आरक्षण और ओबीसी आरक्षण को लेकर पार्टी की नीतियों से असंतोष बढ़ा है।
माधव फॉर्मूला को फिर से लागू करने का मुख्य उद्देश्य इन समुदायों के नेताओं को प्रमुखता देकर ओबीसी मतदाताओं का विश्वास जीतना है। बीजेपी नेतृत्व ने साफ संकेत दिए हैं कि विधानसभा चुनावों में इन जातियों से संबंधित उम्मीदवारों को टिकट वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि ओबीसी वोट बैंक को वापस पाया जा सके। इस कदम से बीजेपी उम्मीद कर रही है कि जातिगत समीकरण साधने की कोशिश (Efforts to Balance Caste Equations) उनके पक्ष में काम करेगी और उन्हें चुनावी जीत की ओर ले जाएगी।
मराठवाडा और पश्चिमी महाराष्ट्र: बीजेपी की नई रणनीति
मराठवाडा और पश्चिमी महाराष्ट्र हमेशा से राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण रहे हैं। मराठवाडा में 46 विधानसभा सीटें हैं और पश्चिमी महाराष्ट्र में 70 सीटें हैं। पिछली बार महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Elections) में बीजेपी ने पश्चिमी महाराष्ट्र में 20 और मराठवाडा में 16 सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी का ध्यान विशेष रूप से इन इलाकों पर केंद्रित है, जहां जातिगत समीकरणों को साधना उनकी जीत की कुंजी हो सकता है।
अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्यादेवी होल्कर के नाम पर अहिल्यानगर करने का फैसला धनगर समुदाय को लुभाने के लिए लिया गया है, क्योंकि अहिल्यादेवी होल्कर को इस समुदाय में देवता के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा, बीजेपी ने ब्राह्मण और राजपूत समुदायों के लिए आर्थिक विकास के दो नए निगम स्थापित किए हैं, जो उच्च जातियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का एक और प्रयास है।
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