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Monitoring Children at Garba Events: मुंबई में क्यों माता-पिता अपने बच्चों पर नजर रखने के लिए हायर कर रहे हैं प्राइवेट डिटेक्टिव? जानें वजह!

Monitoring Children at Garba Events: मुंबई में क्यों माता-पिता अपने बच्चों पर नजर रखने के लिए हायर कर रहे हैं प्राइवेट डिटेक्टिव? जानें वजह!
Monitoring Children at Garba Events: मुंबई में नवरात्रि के दौरान माता-पिता अपने बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव्स की सेवाएं ले रहे हैं। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते माता-पिता को बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता है।

नवरात्रि में बढ़ी प्राइवेट डिटेक्टिव्स की मांग

नवरात्रि के मौके पर मुंबई में गरबा नाइट्स का खास आकर्षण रहता है। लोग धूमधाम से रातभर गरबा खेलते हैं, लेकिन इस बीच माता-पिता की चिंता बढ़ गई है। कई माता-पिता और रिश्तेदार प्राइवेट डिटेक्टिव्स (Private Detectives) को हायर कर रहे हैं ताकि वे उनके बच्चों पर नजर रख सकें। खासकर सोशल मीडिया के जरिए नए दोस्तों से संपर्क में आने वाले बच्चों की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है।

प्राइवेट डिटेक्टिव राजनी पंडित बताती हैं कि कई माता-पिता यह जानने के लिए डिटेक्टिव्स की मदद ले रहे हैं कि उनका बच्चा किसके साथ गरबा खेलने जा रहा है। इसके अलावा, अगर किसी पति या पत्नी को अपने साथी पर शक हो और वह गरबा खेलने जा रहे हों, तो डिटेक्टिव्स उनकी भी गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

गरबा नाइट्स में सुरक्षा का नया स्तर

इस साल, गरबा में बच्चों की सुरक्षा को लेकर माता-पिता की चिंताओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है। माता-पिता यह जानना चाहते हैं कि उनके बच्चे किसके साथ समय बिता रहे हैं और किससे मिल रहे हैं। कई बार यह देखने को मिलता है कि माता-पिता ने सोशल मीडिया पर बने रिश्तों पर भरोसा न करके गरबा में बच्चों की निगरानी (Monitoring Children at Garba Events) के लिए डिटेक्टिव्स को हायर किया है।

राजनी पंडित बताती हैं कि इस साल गरबा में शामिल होने वालों की संख्या में कमी आई है, लेकिन फिर भी डिटेक्टिव्स के काम में कमी नहीं आई है। मुंबई में डिटेक्टिव्स एक रात के लिए 8,000 से 10,000 रुपये चार्ज कर रहे हैं, जबकि मुंबई के बाहर या राज्य के बाहर यह शुल्क 10,000 से 20,000 रुपये तक जाता है। अगर क्लाइंट द्वारा पासेस मुहैया नहीं कराए जाते, तो पासेस की लागत भी डिटेक्टिव की फीस में जोड़ी जाती है।

संदेह और सोशल मीडिया का असर

राजनी पंडित के अनुसार, सोशल मीडिया पर बनाए गए रिश्तों के कारण संदेह बढ़ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक मामला शेयर किया जिसमें एक पंजाबी लड़के को अपनी गुजराती मंगेतर पर शक था। उसकी मंगेतर ने कहा कि वह गरबा नहीं खेल सकता और उसे साथ नहीं आने को कहा, लेकिन खुद रात में गरबा खेलने चली गई। इससे मंगेतर को संदेह हुआ और उसने डिटेक्टिव को हायर कर लिया ताकि उसकी मंगेतर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां लोग अपनी सुरक्षा या रिश्तों के बारे में सच जानने के लिए डिटेक्टिव्स की मदद ले रहे हैं। नवरात्रि का यह पावन पर्व जहां एक ओर धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया और आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियों से निपटने के लिए नए तरीके भी अपनाए जा रहे हैं।

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