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EVM Hacking: क्या EVM हैक हो सकती हैं? जानें चुनाव आयोग का पूरा जवाब और सुरक्षा उपाय

EVM Hacking: क्या EVM हैक हो सकती हैं? जानें चुनाव आयोग का पूरा जवाब और सुरक्षा उपाय
EVM Hacking: भारत में चुनावों के दौरान EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का उपयोग 1990 के दशक से किया जा रहा है। हालांकि, इस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं कि क्या ये मशीनें सुरक्षित हैं या इन्हें हैक किया जा सकता है।

विपक्षी पार्टियां समय-समय पर चुनाव प्रक्रिया में EVM की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाती रहती हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने इन सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया है कि EVM हैकिंग (EVM Hacking) मुमकिन नहीं है। आइए जानें, चुनाव आयोग का क्या कहना है और EVM सुरक्षा प्रक्रिया कैसे काम करती है।

EVM सुरक्षा प्रक्रिया: कैसे होती है EVM की जांच?

चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि EVM हैक नहीं हो सकती क्योंकि ये मशीनें किसी भी नेटवर्क या इंटरनेट से जुड़ी नहीं होतीं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने स्पष्ट किया कि “जब पेजर को हैक किया जा सकता है, तो EVM कैसे नहीं?”, यह तर्क सही नहीं है क्योंकि पेजर एक कनेक्टेड डिवाइस होता है, जबकि EVM पूरी तरह से ऑफलाइन रहती हैं। आयोग की माने तो वोटिंग प्रक्रिया से पहले और बाद में EVM की कई स्तरों पर जांच होती है जिससे किसी भी गड़बड़ी की संभावना को समाप्त किया जाता है।

तीन स्तरों की सुरक्षा: EVM सुरक्षा का मॉडल

EVM की सुरक्षा में चुनाव आयोग ने तीन महत्वपूर्ण स्तर तय किए हैं। पहले चरण में EVM का FLC (फर्स्ट लेवल चेक) होता है, जिसमें मशीन को इस्तेमाल से लगभग छह महीने पहले जांचा जाता है। इस दौरान, EVM की तकनीकी स्थिति की जांच की जाती है और किसी भी तकनीकी खराबी का समाधान किया जाता है। इस जांच प्रक्रिया में विभिन्न राजनीतिक दलों के एजेंट्स भी उपस्थित होते हैं ताकि प्रक्रिया पारदर्शी रहे।

इसके बाद, दूसरे चरण में EVM की कमिशनिंग होती है, जिसमें मशीन में बैटरी लगाई जाती है और उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह डालकर मशीन को सील कर दिया जाता है। तीसरे और अंतिम चरण में EVM को स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाता है। इस दौरान स्ट्रॉन्ग रूम पर डबल लॉक और तीन स्तरों की सुरक्षा तैनात की जाती है।

वीडियोग्राफी और पोलिंग एजेंट की उपस्थिति

चुनाव प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, हर कदम की वीडियोग्राफी की जाती है। वोटिंग से पहले पोलिंग बूथ पर ईवीएम को लेकर जानकारी दी जाती है और बूथ पर उपस्थित पोलिंग एजेंट को मशीन में डाला गया डेमो वोट दिखाया जाता है, ताकि किसी भी गड़बड़ी की संभावना ना रहे।

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि ईवीएम में डाली गई हर वोट का रिकॉर्ड होता है और उसकी पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए हर कदम पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है।

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