महाराष्ट्र

Revised Curriculum: मनुस्मृति विवाद के बाद आया बड़ा बदलाव, SCERT ने पेश किया नया स्कूली पाठ्यक्रम

Revised Curriculum: मनुस्मृति विवाद के बाद आया बड़ा बदलाव, SCERT ने पेश किया नया स्कूली पाठ्यक्रम
Revised Curriculum in Maharashtra School: महाराष्ट्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने नए शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत स्कूली शिक्षा के लिए संशोधित पाठ्यक्रम ढांचा (SCF-SE) जारी किया है। इस संशोधित दस्तावेज में विवादित संदर्भों को हटाकर कई नए बदलाव और सुधार पेश किए गए हैं।

विवादों के बाद जारी हुआ नया संशोधित पाठ्यक्रम (revised curriculum)

हाल ही में जारी किए गए स्कूली शिक्षा के लिए संशोधित पाठ्यक्रम ढांचे (SCF-SE) को पहले जारी किए गए मसौदे में विवादित संदर्भों के कारण तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा था। इसमें मनुस्मृति (Manusmriti) और अन्य धार्मिक ग्रंथों जैसे कि भगवद गीता और मनाचे श्लोक को पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव पर विवाद हुआ था। इसके परिणामस्वरूप, सरकार और विशेषज्ञों ने इसका पुनरावलोकन किया, जिसके बाद संशोधित पाठ्यक्रम (revised curriculum) को नए ढंग से पेश किया गया है।

इस संशोधित दस्तावेज को शिक्षा मंत्रालय के समक्ष अंतिम स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही, इसे स्कूलों में लागू करने से पहले कई अन्य सुधारों पर विचार किया जाएगा, जैसे कि स्कूलों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना। हालांकि, शिक्षाविदों ने इस पर बल दिया है कि इससे पहले स्कूलों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता है ताकि वे इस स्वायत्तता का सही उपयोग कर सकें।

नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली पाठ्यक्रम (school curriculum under new education policy) में नए बदलाव

इस संशोधित पाठ्यक्रम के तहत कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि मराठी को अनिवार्य विषय के रूप में पेश किया गया है। मराठी भाषा को तीन स्तरों पर पढ़ाए जाने का प्रस्ताव है: प्रोफेशनल, फंक्शनल और जनरल। इससे छात्रों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार भाषा की शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा, इस पाठ्यक्रम में “उन्नत अंग्रेजी” (Advanced English) नामक एक नया विषय भी जोड़ा गया है, जो छात्रों को आईईएलटीएस, टीओईएफएल, जीआरई और जीमैट जैसी अंग्रेजी भाषा की परीक्षाओं के लिए तैयार करेगा।

इस संशोधित पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को वैश्विक शिक्षा के लिए तैयार करना है, जिसके तहत छात्रों को विदेशी भाषाओं का ज्ञान भी मिलेगा। इसके तहत, अंग्रेजी के अलावा अब हिब्रू भाषा को भी पहली बार पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। वहीं जर्मन, फ्रेंच, जापानी, स्पैनिश, चीनी, पारसी और अरबी जैसी भाषाओं को पहले से ही राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है।

कृषि और स्वायत्तता की शिक्षा

एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि कक्षा 1 से ही स्कूलों में कृषि को एक विषय के रूप में पेश किया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों को प्रारंभिक स्तर पर ही कृषि और इसके महत्व के बारे में जागरूक करना है। इस कदम से छात्रों में व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है।

साथ ही, संशोधित पाठ्यक्रम ढांचे के तहत, स्कूलों को कुछ हद तक स्वायत्तता दी जाएगी। हालांकि, इस स्वायत्तता को लागू करने से पहले स्कूलों की संरचनात्मक क्षमता को मजबूत करना अनिवार्य होगा। शिक्षाविदों ने भी इस पर बल दिया है कि इससे पहले स्कूलों को उचित मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि वे इस नई नीति के तहत अपना संचालन बेहतर तरीके से कर सकें।

महाराष्ट्र का यह संशोधित स्कूली पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति के अनुरूप तैयार किया गया है, जो न केवल छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करेगा। हालांकि, कुछ बिंदुओं पर अभी भी स्पष्टता की आवश्यकता है, जैसे कि अंग्रेजी को विदेशी भाषा के रूप में मान्यता देना जब कि राज्य में कई अंग्रेजी माध्यम स्कूल पहले से संचालित हो रहे हैं। फिर भी, यह कदम राज्य की शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देने की ओर बढ़ रहा है।

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