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Nawab Malik Controversy: एनसीपी में दो फाड़ और नवाब मलिक की सियासत, जानिए कैसे बदल रहे हैं महाराष्ट्र के समीकरण

Nawab Malik Controversy: एनसीपी में दो फाड़ और नवाब मलिक की सियासत, जानिए कैसे बदल रहे हैं महाराष्ट्र के समीकरण
महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है, जहां नवाब मलिक विवाद (Nawab Malik Controversy) ने सभी का ध्यान खींचा है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने बीजेपी के आरोपों पर मुखर होकर अपना पक्ष रखा है। नवाब मलिक विवाद (Nawab Malik Controversy) ने महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया है।

पचास वर्षों का राजनीतिक सफर

नवाब मलिक की राजनीतिक यात्रा किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। पिछले पांच दशकों से भारतीय राजनीति में सक्रिय मलिक ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मुंबई की गलियों से लेकर महाराष्ट्र विधानसभा तक का सफर तय करने वाले मलिक ने अपनी मेहनत और लगन से राजनीति में एक विशेष स्थान बनाया है। शुरुआती दिनों में उन्होंने स्थानीय स्तर पर काम किया, जहां उन्होंने आम लोगों की समस्याओं को समझा और उनके समाधान के लिए काम किया।

विधानसभा चुनाव और नई चुनौतियां

मानखुर्द-शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने के बाद, मलिक एक बार फिर चर्चा में हैं। उनकी बेटी सना मलिक को अणुशक्ति नगर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिला है, जो उनके लिए पहला विधानसभा चुनाव है। यह पिता-पुत्री की जोड़ी महाराष्ट्र की राजनीति में नए बदलाव का संकेत दे रही है। एनसीपी के अजित पवार गुट ने मलिक को अपना आधिकारिक उम्मीदवार बनाकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है।

विवादों का सामना और स्पष्टीकरण

राजनीति में नवाब मलिक का सफर (Nawab Malik’s Political Journey) कई विवादों से घिरा रहा है। बीजेपी नेता किरीट सोमैया द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए मलिक ने कहा कि वे कभी भी आतंकवाद से जुड़े नहीं रहे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना हैं। 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा दर्ज मामले में उन्हें चिकित्सा आधार पर जमानत मिली है, जिसे वे अपनी निर्दोषिता का प्रमाण मानते हैं।

एनसीपी विभाजन और राजनीतिक समीकरण

एनसीपी में विभाजन के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने भाजपा की आपत्तियों के बावजूद मलिक को अपने साथ रखा है। दूसरी ओर, भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी, हालांकि उनकी बेटी की उम्मीदवारी पर कोई आपत्ति नहीं है। भाजपा की मुंबई इकाई के प्रमुख आशीष शेलार ने वीडियो संदेश जारी कर पार्टी का रुख स्पष्ट किया है।

वर्तमान राजनीतिक माहौल

महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय कई दिलचस्प मोड़ आ रहे हैं। मलिक का मामला अदालत में विचाराधीन है, जिस पर वे खुलकर चर्चा नहीं कर सकते। उनका कहना है कि एक बार फैसला आने के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मलिक की उम्मीदवारी और उनकी बेटी का राजनीति में प्रवेश राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।

स्थानीय राजनीति और जनता का समर्थन

मलिक के समर्थकों का कहना है कि उनके क्षेत्र में विकास कार्यों और जनहित के मुद्दों पर उनका रिकॉर्ड मजबूत रहा है। स्थानीय लोगों के बीच उनकी पहुंच और लोकप्रियता उनकी राजनीतिक ताकत का प्रमुख स्रोत है। विधानसभा क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों और स्थानीय मुद्दों पर उनकी समझ ने उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है।

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