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Almora Bus Accident: दर्दनाक पल! एक खटक की आवाज ने कैसे छीन लीं 36 मासूम जिंदगियां, अल्मोड़ा के काले दिन की पूरी कहानी

Almora Bus Accident: दर्दनाक पल! एक खटक की आवाज ने कैसे छीन लीं 36 मासूम जिंदगियां, अल्मोड़ा के काले दिन की पूरी कहानी
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 5 नवंबर की सुबह एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे राज्य को दहला कर रख दिया। अल्मोड़ा बस हादसा (Almora Bus Accident) में 36 लोगों की मौत ने कई परिवारों की खुशियों को पल भर में मातम में बदल दिया। इस दुर्घटना ने एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में यात्री सुरक्षा के सवालों को सामने ला दिया है।

सुबह की शुरुआत और यात्रा का आगाज

सुबह का वक्त था, और बारातकिनाथ से एक 43 सीटर बस रामनगर के लिए रवाना हुई। अल्मोड़ा बस हादसा (Almora Bus Accident) की शुरुआत एक सामान्य यात्रा की तरह हुई, लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह सफर इतना भयावह होगा। बस में 63 यात्री सवार थे, जो क्षमता से काफी ज्यादा थे। कुछ लोग खड़े थे, कुछ सीटों पर बैठे थे, और सभी अपने-अपने गंतव्य की ओर जाने की उम्मीद में थे।

दुर्घटना का वह दर्दनाक पल

जब बस कूपी गांव के पास पहुंची, तो रास्ता खराब था और गति धीमी थी। अचानक एक खटक की आवाज आई, जो बस के कमानी के टूटने की थी। यात्रियों ने बताया कि पहले उन्हें लगा कि यह सड़क की खराबी के कारण हुई आवाज है। लेकिन अगले ही पल बस अनियंत्रित हो गई और 200 मीटर गहरी खाई में जा गिरी। कुछ खुशनसीब यात्री, जो दरवाजे के पास खड़े थे, बाहर छिटक गए, लेकिन बाकी लोग बस के साथ खाई में चले गए।

घटना के बाद का दृश्य और बचाव अभियान

घातक बस दुर्घटना में जनहानि (Fatal Bus Accident Claims Lives) के बाद का दृश्य दिल दहला देने वाला था। बस जंगल से घिरे इलाके में चट्टानी ढलान से लुढ़कते हुए बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। स्थानीय लोगों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। पुलिस और प्रशासन की टीमें भी जल्द ही मौके पर पहुंच गईं। करीब पांच घंटे तक चले बचाव अभियान में 28 लोगों को मृत पाया गया, जबकि 8 लोगों ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया।

परिवारों का दर्द और टूटते सपने

इस हादसे में कई परिवारों के सपने टूट गए। मनोज और चारू अपनी ढाई साल की बेटी शिवानी के साथ यात्रा कर रहे थे। दुर्घटना में चारू की मौत हो गई, और छोटी शिवानी गंभीर रूप से घायल हो गई। अस्पताल में वह लगातार अपनी मां को पुकार रही है। वहीं, दिगोलीखाल के भूपाल सिंह के बेटे प्रवीण और उनकी पत्नी दिवाली की छुट्टियां मनाकर दिल्ली लौट रहे थे। प्रवीण एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, लेकिन इस हादसे ने उनके परिवार के सपनों को चकनाचूर कर दिया।

प्रशासनिक कार्रवाई और जांच के आदेश

घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की गई। पौड़ी और अल्मोड़ा के सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे ने बताया कि दुर्घटना का मुख्य कारण बस में क्षमता से अधिक यात्री होना हो सकता है।

घायलों का इलाज और सरकारी मदद

घायलों को पहले रामनगर के नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस से एम्स ऋषिकेश और सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर किया गया। चार लोगों की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजे की घोषणा की है और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का आश्वासन दिया है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया और सड़क सुरक्षा के सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मार्ग पर पहले भी कई छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। खराब सड़कें और ओवरलोडिंग जैसी समस्याएं आम हैं। इस घटना ने एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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