महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। कोल्हापुर के राधानगरी विधानसभा क्षेत्र में उद्धव का पलटवार (Uddhav’s Counter Attack) राज्य की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादास्पद ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बयान पर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ऐतिहासिक जवाब दिया है।
महाराष्ट्र की एकता का संदेश
कोल्हापुर की पावन धरती पर उद्धव का पलटवार (Uddhav’s Counter Attack) दमदार रहा। छत्रपति शिवाजी महाराज की कर्मभूमि पर उन्होंने मराठी अस्मिता का परचम लहराते हुए कहा, ‘अमही टूटू देनार नहीं, अमही लुटू देनार नहीं’। यह नारा महाराष्ट्र की एकता और अखंडता का प्रतीक बन गया है। उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में राज्य की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक मूल्यों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की धरती पर किसी भी प्रकार के विभाजनकारी प्रयास को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
जनकल्याण की नई पहल
महाराष्ट्र की एकता का संकल्प (Maharashtra Unity Pledge) को मजबूत करते हुए ठाकरे ने विकास की नई योजनाओं का पिटारा खोला। उन्होंने महाराष्ट्र के प्रत्येक जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्य मंदिर बनवाने की घोषणा की। इतना ही नहीं, सूरत में भी शिवाजी महाराज का मंदिर बनाने का प्रस्ताव रखा। महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष पुलिस थानों की स्थापना, पुलिस विभाग में महिलाओं के लिए रिक्त पदों को भरने और लड़कों के लिए नि:शुल्क शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण घोषणाएं की गईं।
आर्थिक सशक्तिकरण का वादा
ठाकरे ने आम जनता की आर्थिक चिंताओं को दूर करने का भी संकल्प लिया। महा विकास अघाड़ी की सरकार बनने पर पांच महत्वपूर्ण खाद्य वस्तुओं – चीनी, दाल और अनाज की कीमतों को पांच साल तक नियंत्रित रखने का वादा किया। मुंबई में मराठी परिवारों के लिए किफायती आवास योजना की घोषणा की गई। साथ ही, रोजगार सृजन और युवाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने का आश्वासन दिया।
राधानगरी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित इस ऐतिहासिक रैली में ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार के पी पाटिल का समर्थन किया, जो वर्तमान शिवसेना विधायक प्रकाश अबितकर के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। उन्होंने महाराष्ट्र की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा का दृढ़ संकल्प दोहराया। रैली में उमड़ी भारी भीड़ ने उनके संदेश का जोरदार समर्थन किया।
राज्य की राजनीति में यह मुकाबला अब केवल चुनावी प्रतिस्पर्धा नहीं रह गया है, बल्कि महाराष्ट्र की पहचान और अस्मिता से जुड़ा मुद्दा बन गया है। उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे महाराष्ट्र की एकता और अखंडता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। उनका यह संदेश राज्य की राजनीति में एक नई बहस का विषय बन गया है।
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