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Trump Becoming President: एशिया में महाशक्तियों की नई जंग; ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-चीन के बीच कैसे बदलेंगे समीकरण

Trump Becoming President: एशिया में महाशक्तियों की नई जंग; ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत-चीन के बीच कैसे बदलेंगे समीकरण
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ने वैश्विक राजनीति में भूचाल ला दिया है। ट्रंप का राष्ट्रपति बनना (Trump Becoming President) एक ऐसी घटना है जिसने दुनिया भर में हलचल मचा दी है। यह केवल अमेरिका के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नए युग की शुरुआत है।

वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव

ट्रंप का राष्ट्रपति बनना (Trump Becoming President) वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ साबित हो सकता है। उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति से पूरी दुनिया की कूटनीति प्रभावित होगी। नाटो जैसे पुराने गठबंधनों की भूमिका पर नए सिरे से विचार होगा। यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा के लिए अधिक स्वतंत्र निर्णय लेने पड़ सकते हैं।

एशिया में बदलते समीकरण

दुनिया की राजनीति में बड़ा बदलाव (Major Shift in World Politics) एशिया में सबसे ज्यादा दिखाई देगा। भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा में अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ट्रंप प्रशासन चीन पर दबाव बढ़ा सकता है, जिससे व्यापार युद्ध फिर से तेज हो सकता है। भारत के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग बढ़ सकता है।

यूक्रेन युद्ध का नया मोड़

ट्रंप की नई विदेश नीति से यूक्रेन संकट में बड़ा बदलाव आ सकता है। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान इस युद्ध को एक दिन में समाप्त करने का दावा किया था। यूक्रेन को मिलने वाली सैन्य और आर्थिक मदद में कटौती हो सकती है। रूस के साथ नए समझौते की संभावना बढ़ सकती है। पुतिन की स्थिति मजबूत हो सकती है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव आ सकते हैं। चीन पर नए टैरिफ लग सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों को देश वापस लाने के लिए नई नीतियां बन सकती हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव से भारत को फायदा हो सकता है। विश्व व्यापार संगठन में नए नियमों की मांग हो सकती है।

भारत-अमेरिका संबंधों का नया दौर

प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंध मजबूत रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ सकता है। चीन को रोकने के लिए भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। क्वाड जैसे समूहों में भारत की भागीदारी और मजबूत हो सकती है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई रणनीतियां बन सकती हैं।

वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां

नाटो देशों को अपनी सुरक्षा के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है। यूरोप में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति कम हो सकती है। चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए नई रणनीतियां बन सकती हैं। साइबर सुरक्षा और आर्थिक जासूसी पर कड़े कदम उठ सकते हैं।

पर्यावरण और जलवायु नीतियां

ट्रंप की वापसी से पेरिस जलवायु समझौते पर फिर से सवाल उठ सकते हैं। जीवाश्म ईंधन उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है। हरित ऊर्जा परियोजनाओं की गति धीमी हो सकती है। वैश्विक पर्यावरण लक्ष्यों को नए सिरे से परिभाषित करना पड़ सकता है।

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