महाराष्ट्र

Deshmukh Brothers Election: विलासराव देशमुख की विरासत को आगे बढ़ा रहे तीनों बेटे; अमित और धीरज चुनाव में, रितेश कर रहे प्रचार

Deshmukh Brothers Election: विलासराव देशमुख की विरासत को आगे बढ़ा रहे तीनों बेटे; अमित और धीरज चुनाव में, रितेश कर रहे प्रचार
महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐसा परिवार जिसने दशकों से लातूर की राजनीति को प्रभावित किया है, वह है देशमुख परिवार। इस बार विधानसभा चुनाव में देशमुख बंधु चुनाव (Deshmukh Brothers Election) एक बार फिर सुर्खियों में हैं, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के दो बेटे विधानसभा की दो अलग-अलग सीटों से मैदान में हैं।

राजनीतिक विरासत का आगे बढ़ता सफर

देशमुख बंधु चुनाव (Deshmukh Brothers Election) में इस बार विशेष दिलचस्पी है। बड़े भाई अमित देशमुख लातूर सिटी से अपनी चौथी पारी के लिए कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा 2009 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था। तब से वे लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं। वहीं छोटे भाई धीरज देशमुख लातूर ग्रामीण सीट से दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

बॉलीवुड से चुनावी मैदान तक

इस चुनावी माहौल में बॉलीवुड अभिनेता रितेश देशमुख की भूमिका भी अहम है। वे अपने दोनों भाइयों के लिए जनसभाएं कर रहे हैं और जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं। रितेश ने कई जनसभाओं में कहा है कि कांग्रेस उनके परिवार के खून में है। उन्होंने लातूर की जनता का आभार भी जताया है, जो लंबे समय से उनके परिवार पर भरोसा करती आई है।

लातूर का राजनीतिक इतिहास और देशमुख परिवार

लातूर का राजनीतिक परिवार चुनाव में (Latur’s Political Family in Elections) एक नया अध्याय जोड़ने की तैयारी में है। 1957 से लेकर अब तक लातूर सिटी सीट पर कांग्रेस को मात्र दो बार हार का सामना करना पड़ा है। विलासराव देशमुख ने इस सीट से पांच बार जीत दर्ज की थी। 2009 में परिसीमन के बाद लातूर सीट दो हिस्सों में बंट गई, जिससे लातूर सिटी और लातूर ग्रामीण सीट अस्तित्व में आईं।

धीरज देशमुख के लिए यह चुनाव विशेष महत्व रखता है। उन्होंने 2019 में पहली बार चुनाव लड़ा था और शिवसेना के सचिन देशमुख को 1.21 लाख वोटों से हराया था। इस बार भाजपा ने उनके खिलाफ रमेश कराड को मैदान में उतारा है, जो पहले भी दो बार इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं।

लातूर ग्रामीण सीट पर अब तक 12 चुनाव हुए हैं, जिनमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। यह आंकड़ा इस क्षेत्र में कांग्रेस और देशमुख परिवार के प्रभाव को दर्शाता है। अमित देशमुख के पास मंत्री के रूप में काम करने का अनुभव है, जबकि धीरज पहले ही कार्यकाल में विकास कार्यों के लिए जाने जाते हैं।

चुनाव प्रचार में तीनों भाइयों की सक्रियता ने इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। रितेश देशमुख द्वारा की जा रही जनसभाएं युवा मतदाताओं को विशेष रूप से आकर्षित कर रही हैं। उनकी लोकप्रियता का फायदा उनके भाइयों को मिल रहा है। स्थानीय मुद्दों पर फोकस करते हुए, दोनों भाई अपने-अपने क्षेत्रों में विकास की नई योजनाओं का वादा कर रहे हैं।

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