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Airoli’s Electoral Battle: ऐरोली का महासंग्राम, गठबंधन टूटे, नए दोस्त बने, अब क्या होगा विधानसभा का हाल?

Airoli's Electoral Battle: ऐरोली का महासंग्राम, गठबंधन टूटे, नए दोस्त बने, अब क्या होगा विधानसभा का हाल?
महाराष्ट्र की राजनीति में इस बार सबसे दिलचस्प मुकाबला ऐरोली विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। ऐरोली का चुनावी समर (Airoli’s Electoral Battle) इस बार कई मायनों में खास है। यहां पहली बार ऐसा मौका आया है, जब पुराने राजनीतिक समीकरण टूटकर नए रिश्ते बन रहे हैं।

बदलता राजनीतिक परिदृश्य

ऐरोली की राजनीतिक फिजा में इस बार नया रंग देखने को मिल रहा है। ऐरोली का चुनावी समर (Airoli’s Electoral Battle) में मौजूदा विधायक गणेश नाइक बीजेपी की ओर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके सामने शिवसेना (उद्धव गुट) के मनोहर कृष्ण माधवी हैं, जो पहली बार इतनी बड़ी चुनौती बनकर सामने आए हैं। मनसे के नीलेश अरुण बनखेले ने भी इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। पिछले चुनाव में जहां बीजेपी और एनसीपी के बीच सीधी टक्कर थी, वहीं इस बार नए गठबंधन और टूटे रिश्तों ने चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है।

जनता की नब्ज

ऐरोली के मतदाताओं का मूड इस बार बिल्कुल अलग है। ऐरोली में त्रिकोणीय राजनीतिक महासंग्राम (Airoli’s Triangular Political Mega-Contest) में जनता के सामने तीन मजबूत विकल्प हैं। स्थानीय मुद्दों की बात करें तो पानी की समस्या, सड़कों की हालत, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे लोगों के दिमाग में सबसे ज्यादा हैं। पिछले पांच सालों में विकास कार्यों की रफ्तार धीमी रही है, जिससे लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। युवा वर्ग रोजगार के अवसरों की कमी से परेशान है, जबकि व्यापारी वर्ग आर्थिक मंदी से जूझ रहा है।

छोटे दलों का बड़ा दांव

इस बार का चुनाव छोटे दलों के लिए भी अहम मौका है। बसपा के अरविंद सिंह श्रीराम राव दलित वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश में हैं। आरपीआई के अमोल अंकुश जावले भी इसी वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत में हैं। महाराष्ट्र स्वराज्य पार्टी के अंकुश सखाराम कदम मराठा वोटों को लुभाने में लगे हैं। लोकराज्य पार्टी के भूपेन्द्र नारायण गवते ने भी अपना जनाधार बढ़ाने के लिए कमर कस ली है। ये छोटे दल भले ही जीत न पाएं, लेकिन बड़े दलों के वोट काटकर चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।

चुनावी तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था

ऐरोली विधानसभा क्षेत्र में इस बार 447 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। हर बूथ पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था की गई है। विशेष रूप से संवेदनशील बूथों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाएगी। मतदान केंद्रों पर पेयजल, शौचालय और रैंप जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है। चुनाव आयोग ने मतदान को पारदर्शी बनाने के लिए कई नई पहल की हैं।

जनसांख्यिकी और मतदाता प्रोफाइल

ऐरोली विधानसभा क्षेत्र में करीब 4.5 लाख मतदाता हैं। इनमें युवा मतदाताओं की संख्या लगभग 25 प्रतिशत है। महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के लगभग बराबर है। यहां की आबादी में मराठी, गुजराती, उत्तर भारतीय और दलित समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं। हर समुदाय के अपने-अपने मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं।

चुनाव प्रचार की रणनीतियां

इस बार के चुनाव में सोशल मीडिया बड़ा हथियार बन गया है। सभी प्रमुख उम्मीदवार डिजिटल प्लेटफॉर्म का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। घर-घर दस्तक अभियान के साथ-साथ वर्चुअल रैलियां भी की जा रही हैं। कोविड के बाद के दौर में चुनाव प्रचार का तरीका बदला है। छोटी सभाओं और नुक्कड़ मीटिंग्स पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। हर उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहा है।

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