कैसे खुला डॉक्टरों की लापरवाही का मामला? केरल के अलाप्पुझा जिले में जन्म से पहले जांच (Prenatal testing) में लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। एक दंपती ने शिकायत की है कि डॉक्टर प्रसव पूर्व शिशु में गंभीर विकृतियों का पता लगाने में असफल रहे। इसके बावजूद उन्होंने रिपोर्ट को “सामान्य” बताया।
दंपती का आरोप है कि उन्हें डॉक्टरों ने भ्रूण की स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चे का जन्म 8 नवंबर को हुआ और दंपती को चार दिन बाद बच्चे को दिखाया गया।
कैसे हुई लापरवाही?
35 वर्षीय महिला सुरुमी को 30 अक्टूबर को प्रसव के लिए अलाप्पुझा के कडप्पुरम महिला एवं बाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रसव के दौरान भ्रूण की हरकत और धड़कन में कमी को देखते हुए उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (MCH) भेजा गया।
MCH में सर्जरी के बाद बच्चे का जन्म हुआ। लेकिन बच्चे में गंभीर बाहरी और आंतरिक विकृतियां पाई गईं। इन विकृतियों में शारीरिक असामान्यताएं शामिल थीं, जिनकी पहचान प्रसव पूर्व जांच के दौरान हो जानी चाहिए थी।
दंपती के आरोप और डॉक्टरों पर केस
दंपती, अनीश और सुरुमी ने डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि प्रसव पूर्व जांच में गंभीर चूक हुई। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें गलत रिपोर्ट देकर भरोसा दिलाया कि सब सामान्य है। इसके साथ ही, उन्होंने निजी स्कैनिंग सेंटर के डॉक्टरों पर भी लापरवाही का आरोप लगाया।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने चार डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इसमें कडप्पुरम महिला एवं बाल अस्पताल की दो डॉक्टर और दो निजी स्कैनिंग सेंटर के डॉक्टर शामिल हैं। इन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत दूसरों की जान और सुरक्षा को खतरे में डालने का मामला दर्ज किया गया है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
घटना सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया है। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने जांच का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त निदेशक के नेतृत्व में एक विशेष टीम इस मामले की जांच करेगी।
मंत्री ने यह भी बताया कि इस जांच में स्कैनिंग सेंटर और अस्पताल के प्रोटोकॉल की समीक्षा की जाएगी। अगर किसी स्तर पर चूक पाई गई, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
जिला स्तर पर भी जांच शुरू की जा चुकी है। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस जांच में रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टरों और तकनीकी स्टाफ से पूछताछ की जाएगी।
डॉक्टरों का बचाव और केजीएमओए की प्रतिक्रिया
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए एक आरोपी डॉक्टर ने कहा कि उसने सुरुमी का इलाज केवल गर्भावस्था के शुरुआती महीनों तक किया था। उसने कहा, “मुझे दिखाई गई रिपोर्ट में भ्रूण के विकास में समस्याएं पहले से दर्ज थीं।”
निजी लैब से जुड़े डॉक्टरों ने रिपोर्ट में किसी गलती से इनकार किया है। केरल सरकार चिकित्सा अधिकारी संघ (KGMOA) के एक पदाधिकारी ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में दोनों पक्षों की सुनवाई आवश्यक है।
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