महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के 15 उम्मीदवारों ने उनसे उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न ‘धनुष और बाण’ मांगा था। लेकिन उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए ये प्रस्ताव ठुकरा दिया।
शिंदे ने क्यों किया इनकार?
एकनाथ शिंदे ने कहा कि अगर ‘आप’ के उम्मीदवारों को ‘धनुष और बाण’ चुनाव चिह्न मिल जाता, तो वोट बीजेपी और शिवसेना के बीच बंट सकते थे। इससे अन्य दलों को फायदा हो सकता था, जिसे रोकने के लिए उन्होंने ये फैसला लिया। शिंदे ने बताया कि उन्होंने अपने सांसदों को दिल्ली चुनाव में बीजेपी उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करने का निर्देश दिया था।
बीजेपी की ऐतिहासिक जीत
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार प्रदर्शन किया। बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीतीं, जबकि आम आदमी पार्टी सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा।
गठबंधन धर्म का सम्मान
एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट किया कि वे महायुति गठबंधन का हिस्सा हैं और उन्होंने गठबंधन की नीतियों का सम्मान करते हुए ‘आप’ उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न देने से मना कर दिया। उनकी पार्टी, शिवसेना, दिल्ली में बीजेपी की सहयोगी है, और इसी वजह से उन्होंने अपने सांसदों को बीजेपी का समर्थन करने को कहा।
जन्मदिन पर पीएम मोदी और अमित शाह की बधाई
रविवार को एकनाथ शिंदे ने अपना 61वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी। शिंदे ने बताया कि पीएम मोदी और अमित शाह ने उन्हें ‘एकनाथ शिंदे’ के रूप में शुभकामनाएं दीं, न कि सिर्फ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में।
एकनाथ शिंदे के इस खुलासे ने दिल्ली चुनाव की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। शिवसेना प्रमुख के इस फैसले से साफ है कि गठबंधन धर्म को निभाने के लिए उन्होंने बड़ा राजनीतिक फैसला लिया। अब देखना ये होगा कि उनके इस दावे पर आम आदमी पार्टी और अन्य राजनीतिक दल क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
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