छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के सबसे महान योद्धाओं में से एक थे। उनकी बहादुरी, कुशल रणनीति और स्वराज्य की अवधारणा ने उन्हें इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया। हर साल 19 फरवरी को उनकी जयंती पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन उनके अद्वितीय शौर्य, प्रशासनिक कौशल और न्यायप्रियता को याद किया जाता है। आइए जानते हैं शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े कुछ प्रेरणादायक किस्से।
शिवाजी महाराज का जन्म और प्रारंभिक जीवन
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले बीजापुर दरबार के सेनापति थे, और उनकी माता जीजाबाई ने उन्हें बचपन से ही धर्म, नैतिकता और युद्ध कौशल की शिक्षा दी। कहा जाता है कि रामायण और महाभारत की कहानियों ने उनके व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित किया और उन्हें एक सच्चा योद्धा बनने की प्रेरणा मिली।
पहली जीत: तोरणा किले पर कब्जा
केवल 16 साल की उम्र में, शिवाजी महाराज ने बीजापुर के तोरणा किले पर विजय प्राप्त कर ली। ये उनकी पहली जीत थी, जिसने उनकी वीरता और दूरदर्शिता को साबित किया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य किलों पर कब्जा कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
अफजल खान का वध: चतुराई और वीरता की मिसाल
बीजापुर के सुल्तान ने शिवाजी महाराज को हराने के लिए अफजल खान नामक सेनापति को भेजा। अफजल खान ने शिवाजी को दोस्ती के बहाने मिलने के लिए बुलाया और धोखे से मारने की योजना बनाई। लेकिन शिवाजी महाराज ने इस चाल को पहले ही भांप लिया था। जब अफजल खान ने वार करने की कोशिश की, तो शिवाजी ने वाघनख (बाघ के पंजे जैसे हथियार) से उसका वध कर दिया। ये घटना उनकी चतुराई और वीरता का प्रमाण है।
औरंगजेब की कैद से चतुराई से बच निकले
मुगल शासक औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को आगरा किले में कैद कर लिया। लेकिन शिवाजी महाराज ने अपनी बुद्धिमत्ता से खुद को बचाया। उन्होंने बीमार होने का नाटक किया और अपने भोजन की टोकरियों में छिपकर भागने की योजना बनाई। ये योजना सफल रही और वे सुरक्षित महाराष्ट्र लौट आए।
स्वराज्य की स्थापना और राज्याभिषेक
शिवाजी महाराज ने मुगलों, आदिलशाह और पुर्तगालियों से संघर्ष करते हुए स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की। 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में भव्य समारोह के साथ उनका राज्याभिषेक हुआ और वे “छत्रपति” बने। उन्होंने अपने शासन को हिंदवी स्वराज का नाम दिया और एक न्यायप्रिय एवं सशक्त प्रशासन स्थापित किया।
भारतीय नौसेना के जनक
शिवाजी महाराज ने भारत में पहली बार एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया। उन्होंने अरब सागर में पुर्तगालियों, ब्रिटिश और डच ताकतों से निपटने के लिए युद्धपोत तैयार किए। इसलिए उन्हें “भारतीय नौसेना का जनक” भी कहा जाता है।
महिलाओं और किसानों के प्रति सम्मान
शिवाजी महाराज महिलाओं का बहुत सम्मान करते थे। उन्होंने अपने सैनिकों को आदेश दिया था कि किसी भी युद्ध में स्त्रियों का अपमान न किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने किसानों की रक्षा के लिए कर प्रणाली में सुधार किया और किसी भी जाति या धर्म के प्रति भेदभाव नहीं किया।
छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक महान योद्धा ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी शासक और न्यायप्रिय राजा भी थे। उनकी जयंती हमें स्वाभिमान, वीरता और राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देती है। शिवाजी महाराज का जीवन हमें सिखाता है कि साहस, बुद्धिमानी और दृढ़ संकल्प से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें: Sambhaji Maharaj: वो मराठा वीर जिसके शरीर को काटते गया औरंगजेब लेकिन… ‘छावा’ की कहानी रोंगटे खड़े कर देगी