Mangrove Conservation: बॉम्बे हाई कोर्ट ने अडानी सीमेंटेशन लिमिटेड को रायगढ़ जिले में अंबा नदी के किनारे एक जेटी प्रोजेक्ट के लिए 158 मैंग्रोव पेड़ काटने की अनुमति दे दी है। यह प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सीमेंट, क्लिंकर और कच्चे माल का परिवहन आसान हो जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया है कि कंपनी को पर्यावरण संरक्षण के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि यह प्रोजेक्ट वाणिज्यिक हितों को पूरा करता है, लेकिन इससे प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर प्रोजेक्ट के कारण पर्यावरण को कोई नुकसान होता है, तो कंपनी को इसकी भरपाई करनी होगी।
पर्यावरण और विकास का संतुलन
कोर्ट ने इस मामले में पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता की हानि जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे में, यह जरूरी है कि विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न हो। कोर्ट ने कहा कि अडानी सीमेंटेशन को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका प्रोजेक्ट पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचाए।
प्रोजेक्ट का उद्देश्य
अडानी सीमेंटेशन ने यह प्रोजेक्ट इसलिए शुरू किया है ताकि सीमेंट और कच्चे माल का परिवहन सड़कों के बजाय जलमार्ग से किया जा सके। इससे सड़कों पर भीड़ कम होगी और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। कंपनी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से पर्यावरण को फायदा होगा क्योंकि जलमार्ग से परिवहन करने पर कार्बन उत्सर्जन 60% तक कम हो जाएगा।
पर्यावरणवादियों की चिंताएं
इस प्रोजेक्ट का बॉम्बे एनवायरनमेंटल एक्शन ग्रुप (BEAG) ने विरोध किया था। उनका कहना था कि यह प्रोजेक्ट सार्वजनिक हित के बजाय कंपनी के फायदे के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रोजेक्ट से मैंग्रोव इकोसिस्टम और CRZ-1A क्षेत्र को नुकसान पहुंचेगा।
हालांकि, कोर्ट ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कंपनी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं और यह प्रोजेक्ट सार्वजनिक हित में है।
कंपनी की प्रतिबद्धता
अडानी सीमेंटेशन ने कोर्ट में यह वादा किया है कि वह प्रभावित मैंग्रोव पेड़ों की संख्या से दस गुना अधिक पेड़ लगाएगी। इसके अलावा, कंपनी ने पर्यावरण के अनुकूल तकनीक का उपयोग करने का भी वादा किया है। उदाहरण के लिए, कंपनी ने कन्वेयर सिस्टम को मशीनीकृत करने की योजना बनाई है ताकि शोर प्रदूषण और सामग्री के रिसाव को रोका जा सके।
Mangrove Conservation
अडानी सीमेंटेशन को इस प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र मैरिटाइम बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और वन विभाग से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। कोर्ट ने कंपनी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वह सभी नियमों का पालन करे और पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचाए।
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, अडानी सीमेंटेशन ने न केवल व्यावसायिक लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास किया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक जिम्मेदार कदम उठाया है।
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