Jaishankar’s Statement and Pakistan’s Reaction: कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच सदियों पुराना विवाद है। हाल ही में, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर एक बयान दिया, जिसने पाकिस्तान को फिर से बौखला दिया। जयशंकर ने कहा कि कश्मीर के ‘चुराए गए हिस्से’ की वापसी से ही इस विवाद का समाधान हो सकता है। इस बयान पर पाकिस्तान ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और भारत को जम्मू-कश्मीर के एक बड़े हिस्से को खाली करने की सलाह दी। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
जयशंकर का बयान और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
Jaishankar’s Statement and Pakistan’s Reaction
ब्रिटेन दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कश्मीर के ‘चुराए गए हिस्से’ की वापसी से ही इस विवाद का समाधान हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने कश्मीर में विकास, आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय को बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अनुच्छेद-370 को हटाना, कश्मीर में चुनाव कराना और बड़े पैमाने पर मतदान होना भारत की सफलता के प्रमाण हैं।
लेकिन, पाकिस्तान को यह बयान रास नहीं आया। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने जयशंकर के बयान को खारिज कर दिया और भारत से कश्मीर के उस हिस्से को खाली करने को कहा, जिस पर भारत का कब्जा है। खान ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार, कश्मीर की अंतिम स्थिति का निर्धारण जनमत संग्रह के माध्यम से होना चाहिए।
कश्मीर विवाद का इतिहास
History of the Kashmir Dispute
कश्मीर विवाद की जड़ें 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन में हैं। उस समय, कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन पाकिस्तान ने इसे मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही कश्मीर दोनों देशों के बीच विवाद का केंद्र बना हुआ है। 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया और एक जनमत संग्रह का प्रस्ताव रखा, जो आज तक नहीं हो पाया है।
भारत का मानना है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है, जबकि पाकिस्तान इसे एक विवादित क्षेत्र मानता है। इस बीच, कश्मीर के लोगों की आवाज को लेकर भी दोनों देशों के बीच मतभेद हैं। भारत का कहना है कि कश्मीर में हुए चुनाव और विकास के कदम लोगों की इच्छा को दर्शाते हैं, जबकि पाकिस्तान इसे नजरअंदाज करता है।
जयशंकर का दृष्टिकोण
Jaishankar’s Perspective
जयशंकर ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारत ने कश्मीर में शांति और विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अनुच्छेद-370 को हटाना, कश्मीर में चुनाव कराना और बड़े पैमाने पर मतदान होना भारत की सफलता के प्रमाण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के हिस्से की वापसी से ही इस विवाद का समाधान हो सकता है।
जयशंकर का यह बयान भारत की स्पष्ट और दृढ़ नीति को दर्शाता है। भारत हमेशा से कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानता आया है और इसके विकास के लिए प्रतिबद्ध है। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इस बात को साबित करती है कि वह कश्मीर के मुद्दे को लेकर अभी भी संवेदनशील है।
पाकिस्तान की दोहरी नीति
Pakistan’s Double Standards
पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, लेकिन उसकी नीतियों में दोहरापन साफ दिखता है। एक तरफ, पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार की बात करता है, लेकिन दूसरी तरफ, वह अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में लोगों की आवाज को दबाने का काम करता है। पाकिस्तान के इस दोहरे रवैये को भारत हमेशा उजागर करता आया है।
Jaishankar’s Statement and Pakistan’s Reaction:
कश्मीर विवाद एक जटिल मुद्दा है, जिसका समाधान केवल शांतिपूर्ण वार्ता और दोनों देशों के बीच सहमति से ही संभव है। जयशंकर का बयान भारत की स्पष्ट नीति को दर्शाता है, जबकि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया उसकी संवेदनशीलता को उजागर करती है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कश्मीर विवाद का समाधान किस दिशा में जाता है।
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