शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद (एमएलसी) अनिल परब ने हाल ही में महाराष्ट्र विधान परिषद में अपने बयान से हलचल मचा दी। उन्होंने खुद की तुलना छत्रपति संभाजी महाराज से करते हुए कहा कि जिस तरह संभाजी महाराज पर अत्याचार हुआ, उसी तरह उन पर भी पार्टी बदलने के लिए दबाव डाला गया और सरकारी एजेंसियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की।
संभाजी महाराज की विरासत और परब का बयान
अनिल परब ने कहा कि संभाजी महाराज के विचारों और उनकी विरासत को अगर किसी ने आगे बढ़ाया है, तो वो आगामी फिल्म ‘छावा’ में दिखेगा। उन्होंने कहा, “जिस तरह धर्म बदलने के लिए संभाजी महाराज पर अत्याचार हुआ था, वैसे ही मुझ पर पार्टी बदलने के लिए दबाव डाला गया। ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स और एनआईए जैसी एजेंसियों ने मेरे खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन मैं जेल नहीं गया।”
परब ने आगे कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत को जेल जाना पड़ा, लेकिन वे खुद इन सभी एजेंसियों पर भारी पड़े। उनके इस बयान पर विधान परिषद के चेयरमैन ने पूछा कि क्या इसे रिकॉर्ड में लिया जाना चाहिए? इस पर परब ने बेझिझक जवाब दिया, “क्यों नहीं रखना चाहिए? जो सच है, वो सच है। मुझ पर अत्याचार हुआ है।”
अबू आजमी के बयान से गरमाई राजनीति
इन दिनों मराठा योद्धा संभाजी महाराज पर बनी फिल्म ‘छावा’ चर्चा में है, लेकिन इसी बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ करते हुए कहा कि वो “इंसाफ पसंद बादशाह” थे और उनके शासनकाल में ही भारत “सोने की चिड़िया” बना था।
अबू आजमी ने अपने बयान में कहा कि औरंगजेब को क्रूर शासक कहना गलत है। उन्होंने दावा किया कि उस समय धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि सत्ता के लिए संघर्ष हुआ था। उन्होंने ये भी कहा कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया था, लेकिन इतिहास को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है।
महाराष्ट्र विधानमंडल में उठा मुद्दा
अबू आजमी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र विधानमंडल में सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के सदस्यों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के विधायक को विधानसभा से निलंबित करने और उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की।
इसके बाद अबू आजमी ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। हालांकि, इस विवाद के चलते उन्हें पूरे बजट सत्र के लिए विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों संभाजी महाराज और औरंगजेब को लेकर तीखी बयानबाजी हो रही है। एक ओर अनिल परब खुद को संभाजी महाराज जैसा बताते हैं, वहीं दूसरी ओर अबू आजमी के बयान से विवाद गहराता जा रहा है। इन बयानों से न केवल राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है, बल्कि ये भी स्पष्ट हो गया कि इतिहास और राजनीति का संबंध कितना जटिल हो सकता है।