महाराष्ट्र

Teacher Death in Beed: तुम फांसी लगा लो…बीड में टीचर ने की खुदकुशी, बेटी से मांगी माफी, लिखा- मुझे तड़पा-तड़पा कर मारेंगे ये लोग

Teacher Death in Beed: तुम फांसी लगा लो…बीड में टीचर ने की खुदकुशी, बेटी से मांगी माफी, लिखा- मुझे तड़पा-तड़पा कर मारेंगे ये लोग

Teacher Death in Beed: महाराष्ट्र के बीड जिले में एक ऐसी घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है, जो न सिर्फ सिस्टम की कमियों को उजागर करती है, बल्कि मानवीय पीड़ा और संघर्ष की एक गहरी कहानी भी बयां करती है। यह कहानी है धनंजय अभिमान नागरगोजे की, जो एक शिक्षक थे और जिन्होंने दबाव में आकर खुदकुशी कर ली। उनकी मौत ने न सिर्फ उनके परिवार को तोड़ दिया, बल्कि समाज के सामने कई सवाल भी खड़े कर दिए।

बीड में शिक्षक की आत्महत्या (Teacher Suicide in Beed)

धनंजय अभिमान नागरगोजे, जो बीड के केज तालुका के देवगांव निवासी थे, ने शनिवार को स्वराज्य नगर परिसर के कृष्णा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के बाहर फांसी लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। वह एक आश्रम स्कूल में शिक्षक थे और पिछले 18 साल से बिना वेतन के काम कर रहे थे। उनकी मौत ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज को हिला कर रख दिया।

बेटी से मांगी माफी (Apology to Daughter)

धनंजय ने अपने सुसाइड नोट में अपनी बेटी श्रावणी बाला से माफी मांगी। उन्होंने लिखा, “बेटी, मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं, लेकिन मैं इसके लायक नहीं हूं। मैंने तुम्हारे लिए ढेर सारे सपने देखे थे, लेकिन वे सब दफन हो गए। मैंने किसी के साथ कोई ठगी नहीं की, किसी को धोखा नहीं दिया, लेकिन आज मैं ऐसे लोगों के चंगुल में फंस गया हूं, जो मुझे तड़पा-तड़पा कर मारेंगे।”

यह पत्र न सिर्फ एक पिता की पीड़ा को दर्शाता है, बल्कि उस सिस्टम की क्रूरता को भी उजागर करता है, जो एक ईमानदार शिक्षक को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है।

18 साल से वेतन नहीं (No Salary for 18 Years)

धनंजय ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि वह पिछले 18 साल से स्कूल में काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें अभी तक वेतन नहीं मिला था। जब उन्होंने वेतन की मांग की, तो उन्हें मारपीट का सामना करना पड़ा। उन्होंने लिखा, “जब मैंने पूछा कि मुझे क्या करना चाहिए, तो स्कूल से जुड़े विक्रम बप्पा ने कहा कि तुम फांसी लगा लो। तुम इसके लिए स्वतंत्र हो।”

यह बयान न सिर्फ धनंजय की मजबूरी को दर्शाता है, बल्कि उस सिस्टम की क्रूरता को भी उजागर करता है, जो एक ईमानदार इंसान को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है।

कौन है जिम्मेदार? (Who is Responsible?)

धनंजय ने अपनी मौत के लिए कई लोगों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें विक्रम बाबूराव मुंडे, विजयकांत विक्रम मुंडे, अतुल विक्रम मुंडे, उमेश रमेश मुंडे, ज्ञानेश्वर राजेभाऊ मुरकुटे और गोविंद (अमोल) नवनाथ आव्हाड शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग उन्हें तड़पा-तड़पा कर मारने वाले थे और उनके पास खुदकुशी के अलावा कोई चारा नहीं था।

समाज और सिस्टम के सामने सवाल (Questions for Society and System)

धनंजय की मौत ने समाज और सिस्टम के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्यों एक शिक्षक को 18 साल तक बिना वेतन के काम करना पड़ा? क्यों उसकी आवाज को दबा दिया गया? क्यों उसे इतना तनाव और दबाव झेलना पड़ा कि उसने आत्महत्या को ही एकमात्र रास्ता समझ लिया?

यह घटना न सिर्फ बीड, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि हमें अपने सिस्टम को और मानवीय बनाने की जरूरत है। शिक्षकों, जो समाज का निर्माण करते हैं, को उनका हक देना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

Teacher Death in Beed

धनंजय अभिमान नागरगोजे की मौत न सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी है, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता की कहानी है। उनकी आत्महत्या हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर रहे हैं, जहां इंसानियत और न्याय का कोई मूल्य नहीं है?

धनंजय की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपने सिस्टम को बदलने की जरूरत है, ताकि कोई और धनंजय इस तरह की त्रासदी का शिकार न बने।


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