Stop Reading History on WhatsApp: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में अपने वार्षिक गुढ़ी पाड़वा रैली में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने पर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने औरंगजेब की समाधि को लेकर हो रहे विवादों के बीच जनता से अपील की कि वे सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अधूरी और भ्रामक ऐतिहासिक जानकारी पर भरोसा न करें।
इतिहास की गलत व्याख्या से बचें
ठाकरे ने शिवाजी पार्क, मुंबई में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने “शिवाजी नामक विचारधारा” को खत्म करने की कोशिश की थी, लेकिन वह असफल रहा और अंततः महाराष्ट्र में ही उसकी मृत्यु हुई। इसी संदर्भ में उन्होंने अफजल खान का उल्लेख करते हुए बताया कि उसकी कब्र प्रतापगढ़ किले के पास बनी है, जिसे बिना छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुमति के संभव नहीं था।
ठाकरे ने कहा कि इतिहास को जाति और धर्म के चश्मे से देखने की प्रवृत्ति समाज के लिए खतरनाक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमें यह नहीं बताना चाहिए कि जो मराठा साम्राज्य को मिटाने आए थे, वे खुद इतिहास में विलीन हो गए? उन्होंने जनता को आगाह किया कि वे “WhatsApp यूनिवर्सिटी” पर भरोसा करने के बजाय वास्तविक इतिहास की किताबें पढ़ें।
राजनीतिक स्वार्थ और इतिहास का दुरुपयोग
हाल ही में कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की थी, जिसके बाद नागपुर में इस विषय को लेकर हिंसक झड़पें भी देखी गईं। ठाकरे ने स्पष्ट किया कि इतिहास का उपयोग लोगों को भड़काने और राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व-शिवाजी और उत्तर-शिवाजी काल में परिस्थितियां अलग थीं, और यह समझने की जरूरत है कि आज के संदर्भ में हमें किन वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो फिल्मों के जरिए जागरूक होने का दावा करते हैं, लेकिन वास्तविक इतिहास पढ़ने में रुचि नहीं रखते।
धर्म की राजनीति और समाज की प्रगति
राज ठाकरे ने धर्म को निजी जीवन तक सीमित रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जब तक कोई बाहरी उकसावे की स्थिति नहीं होती, तब तक समाज में जातिगत भेदभाव दिखाई देता है। लेकिन जब सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनती है, तब लोग एक धर्म के नाम पर एकजुट हो जाते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि तुर्की जैसे देशों ने धार्मिक पहचान से ऊपर उठकर खुद को प्रगतिशील बनाया, लेकिन भारत में धर्म की राजनीति अब भी सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा बनी हुई है। ठाकरे ने स्पष्ट किया कि किसी भी देश की तरक्की सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं हो सकती।
मराठी भाषा और पर्यावरण संरक्षण पर जोर
अपनी पार्टी की विचारधारा को दोहराते हुए ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वालों के लिए मराठी भाषा का ज्ञान अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कोई यहां रहकर मराठी नहीं बोलता, तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे।
इसके अलावा, उन्होंने गंगा और महाराष्ट्र की नदियों की दूषित होती स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि धार्मिक परंपराओं के नाम पर नदियों में कचरा और शवों को प्रवाहित करने की प्रथा पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए ₹33,000 करोड़ खर्च किए हैं, फिर भी नदी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
ठाकरे ने यह भी खुलासा किया कि देश के 311 सबसे प्रदूषित नदी क्षेत्रों में से 55 महाराष्ट्र में हैं। उन्होंने बताया कि मुंबई में कभी पांच नदियां थीं, जिनमें से चार लगभग नष्ट हो चुकी हैं और अब मिटी नदी भी खतरे में है। औद्योगिक कचरे, सीवेज और अवैध अतिक्रमण के कारण राज्य की जलधाराओं का भविष्य संकट में है।
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