PM Modi Visit to RSS HQ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आरएसएस मुख्यालय (RSS Headquarters) में दौरा कई राजनीतिक मायनों में अहम है। यह पहली बार था जब उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद नागपुर स्थित संघ कार्यालय का दौरा किया। इस यात्रा को बीजेपी और आरएसएस के बीच संबंधों को नई मजबूती देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा सिर्फ वर्तमान परिस्थितियों के लिए नहीं, बल्कि 2029 के चुनाव (Election 2029 Plan) की तैयारियों का भी हिस्सा हो सकता है।
आरएसएस की तारीफ में बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के दौरान संघ परिवार (Sangh Parivar) को भारतीय राजनीति की आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि यह संगठन केवल एक संस्था नहीं बल्कि एक जीवंत विचारधारा है, जो आधुनिकता और परंपरा का अद्वितीय संगम है। उन्होंने आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि संघ ने राष्ट्र के लिए जो योगदान दिया है, वह अमिट है।
राजनीतिक सफर में आरएसएस की अहम भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी का राजनीतिक सफर आरएसएस कार्यकर्ता (RSS Karyakarta) के रूप में शुरू हुआ था। वर्ष 1972 में संघ प्रचारक बनने के बाद उन्होंने संगठन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उनकी राजनीतिक सक्रियता और संघ से नजदीकी के कारण ही उन्हें 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद, संघ का समर्थन और उनकी कड़ी मेहनत उन्हें प्रधानमंत्री पद तक ले गया।
बीजेपी और आरएसएस के बीच तालमेल की जरूरत
पिछले कुछ वर्षों में, कई मौकों पर यह चर्चा होती रही कि बीजेपी और आरएसएस (BJP-RSS Relations) के बीच मतभेद उभर रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हिंदी पट्टी में मिली हार के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इशारों-इशारों में कुछ नसीहतें दी थीं। वहीं, बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने यह संकेत दिया था कि पार्टी अब पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुकी है।
हालांकि, चुनाव परिणामों के बाद बदले राजनीतिक हालात में बीजेपी ने फिर से संघ के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया। हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में संघ का सक्रिय सहयोग देखने को मिला, जिससे पार्टी को मजबूती मिली।
भविष्य की रणनीति: 2029 तक की तैयारी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी का यह दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी। यह संकेत है कि बीजेपी और संघ 2029 तक की रणनीति को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं। आने वाले महीनों में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम होने जा रहे हैं—बेंगलुरु में बीजेपी की कार्यकारिणी बैठक और आरएसएस का शताब्दी समारोह।
बीजेपी अपनी कार्यकारिणी बैठक में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है, जबकि आरएसएस शताब्दी समारोह के जरिए अपने विस्तार को और मजबूत करने पर जोर देगा। इन दोनों आयोजनों से पहले पीएम मोदी का संघ मुख्यालय जाना यह दर्शाता है कि दोनों संगठन आने वाले समय में और अधिक समन्वय के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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