Mumbai Tanker Strike: मुंबई शहर के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। मुंबई वॉटर टैंकर एसोसिएशन (MWTA) ने फैसला किया है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 10 अप्रैल 2025 से पानी की सप्लाई बंद कर दी जाएगी। यह फैसला सेंट्रल ग्राउंडवॉटर अथॉरिटी (CGWA) के सख्त नियमों के खिलाफ लिया गया है, जो भूजल निकालने के लिए लाइसेंस को जरूरी बनाते हैं। मुंबई जैसे व्यस्त और भीड़भाड़ वाले शहर में पानी के टैंकर (Water Tankers) रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। ये टैंकर हर दिन करीब 200 मिलियन लीटर पानी की सप्लाई करते हैं, जो पीने के लिए नहीं, बल्कि निर्माण कार्यों, सड़क बनाने और होटलों जैसे कामों के लिए इस्तेमाल होता है। लेकिन अब इन टैंकरों पर नई शर्तों का दबाव है, जिससे यह पूरा सिस्टम खतरे में पड़ सकता है।
मुंबई में अभी करीब 1,800 से 2,500 टैंकर काम कर रहे हैं। ये टैंकर शहर के 800 से 1,000 भूजल स्रोतों, जैसे कुओं और बोरवेल्स, से पानी लेते हैं। सेंट्रल ग्राउंडवॉटर अथॉरिटी (CGWA) ने 2020 में एक नियम बनाया था कि भूजल का ज्यादा इस्तेमाल रोकने के लिए हर टैंकर मालिक को लाइसेंस लेना होगा। इसके लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने टैंकर मालिकों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। नोटिस में कहा गया है कि या तो वे नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लें, वरना पानी की सप्लाई बंद कर दें। लेकिन टैंकर एसोसिएशन का कहना है कि इन नियमों को मानना उनके लिए आसान नहीं है।
एसोसिएशन के प्रवक्ता अंकुर शर्मा ने बताया कि CGWA के नियमों में कई सख्त शर्तें हैं। मिसाल के तौर पर, हर कुएं के आसपास 200 वर्ग मीटर खाली जमीन होनी चाहिए। इसके अलावा, पानी की मात्रा नापने के लिए फ्लो मीटर और टैंकरों की निगरानी के लिए GPS सिस्टम लगाना जरूरी है। अंकुर ने सवाल उठाया कि मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में इतनी जगह कहां से लाएं? उनका कहना है कि ये नियम (Groundwater Rules) दूसरी जगहों के लिए बनाए गए हैं, लेकिन BMC इन्हें मुंबई में जबरदस्ती लागू कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरे अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो 10 अप्रैल से टैंकरों की सप्लाई बंद हो जाएगी।
पानी के टैंकर (Water Tankers) मुंबई में सिर्फ घरों के लिए ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए भी जरूरी हैं। सड़कों को कंक्रीट करने, मेट्रो और कोस्टल रोड जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, होटलों, मॉल्स और रेडीमिक्स कंक्रीट प्लांट्स को हर दिन लाखों लीटर पानी चाहिए। अंकुर शर्मा ने कहा कि अगर टैंकरों की सप्लाई बंद हुई, तो क्या BMC इन सब जरूरतों को पूरा करने के लिए पीने का पानी देगी? उनका मानना है कि इससे न सिर्फ बड़े काम रुक जाएंगे, बल्कि हजारों लोग बेरोजगार भी हो सकते हैं। एक टैंकर मालिक ने बताया कि उनका परिवार और कर्मचारी इस काम पर निर्भर हैं, और अगर यह बंद हुआ तो उनका गुजारा मुश्किल हो जाएगा।
यह पहली बार नहीं है जब टैंकर मालिकों ने हड़ताल की धमकी दी हो। साल 2023 में भी BMC ने ऐसे ही नोटिस जारी किए थे। उस वक्त टैंकर एसोसिएशन ने हड़ताल शुरू कर दी थी, जिससे शहर में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। होटल, अस्पताल और निर्माण स्थल बुरी तरह प्रभावित हुए थे। लेकिन तब राज्य सरकार ने दखल देकर हड़ताल खत्म करवा दी थी। इस बार भी लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार कोई रास्ता निकालेगी। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मुंबई को एक बार फिर पानी के संकट का सामना करना पड़ सकता है।
शहर की पानी की जरूरत को समझें, तो BMC हर दिन करीब 3,850 मिलियन लीटर पानी सप्लाई करती है। लेकिन मांग इससे ज्यादा, यानी 4,200 मिलियन लीटर की है। इस कमी को पूरा करने में टैंकरों की बड़ी भूमिका है। खासकर उन इलाकों में, जहां BMC की पाइपलाइन नहीं पहुंचती। मिसाल के तौर पर, स्लम इलाकों, नए बन रहे बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स और बड़े इवेंट्स में टैंकर ही पानी पहुंचाते हैं। लेकिन CGWA के नियमों (Groundwater Rules) ने इस सिस्टम को हिला दिया है। टैंकर मालिकों का कहना है कि वे नियम मानने को तैयार हैं, लेकिन शर्तें ऐसी हों जो मुंबई जैसे शहर में लागू हो सकें।
इस पूरे मामले से एक बात साफ है कि मुंबई जैसे महानगर में पानी का प्रबंधन कितना जटिल है। एक तरफ भूजल को बचाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में पानी की कमी न हो। दूसरी तरफ, रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए टैंकरों पर निर्भरता भी कम नहीं है। अंकुर शर्मा ने कहा कि वे हड़ताल नहीं करना चाहते, लेकिन मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ रहा है। अब सबकी नजर सरकार और BMC पर है कि वे इस समस्या का हल कैसे निकालते हैं। अगर 10 अप्रैल तक कोई फैसला नहीं हुआ, तो मुंबईवासियों को पानी के लिए नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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