महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में एक ऐसी घटना हुई, जिसने सभी का ध्यान खींचा। एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उप-मुख्यमंत्री अजित पवार एक मंच पर साथ नजर आए। ये मुलाकात सतारा के छत्रपति शिवाजी कॉलेज में रयत शिक्षण संस्था की प्रबंध परिषद की बैठक के दौरान हुई। हालांकि ये एक शैक्षणिक आयोजन था, लेकिन इसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। आइए, इस मुलाकात के पीछे की कहानी, इसके मायने और भविष्य की संभावनाओं पर नजर डालते हैं।
मुलाकात का कारण: रयत शिक्षण संस्था की बैठक
रयत शिक्षण संस्था, जिसकी स्थापना 1919 में कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने की थी, महाराष्ट्र में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है। इस संस्था के अध्यक्ष शरद पवार हैं। सतारा में हुई बैठक में अजित पवार, शरद पवार, एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल, और कांग्रेस नेता विश्वजीत कदम एक साथ मौजूद थे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य संस्था के भविष्य के लिए नए कदमों पर चर्चा करना था। शरद पवार ने बताया कि इस दौरान ‘रयत’ नामक एक मासिक पत्रिका शुरू करने का फैसला लिया गया, जिसमें शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य, साहित्य और सामाजिक मुद्दों पर लेख प्रकाशित होंगे। इसके अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), रोबोटिक्स, और 3डी प्रिंटिंग जैसे आधुनिक तकनीकी विषयों पर पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना भी बनाई गई।
अजित पवार का गुस्सा: “पुराने मुद्दे क्यों उठा रहे हैं?”
जैसे ही मीडिया ने इस मुलाकात को राजनीतिक रंग देना शुरू किया, अजित पवार भड़क गए। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि आप पुराने मुद्दे फिर क्यों उठा रहे हैं। ये संस्था सभी की है, और साहेब (शरद पवार) इसके प्रमुख हैं। मुझे बैठक के लिए बुलाया गया था, और इसलिए इसमें शामिल होना मेरा कर्तव्य था।”
अजित पवार का ये बयान साफ करता है कि वे इस मुलाकात को केवल एक औपचारिक आयोजन मानते हैं। लेकिन क्या ये वाकई इतना साधारण था?
शरद पवार और अजित पवार का इतिहास
शरद पवार और अजित पवार के बीच जुलाई 2023 में राजनीतिक दूरी तब बढ़ गई थी, जब अजित पवार ने एनसीपी के कुछ विधायकों के साथ पार्टी से अलग होकर एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने का फैसला किया। इस फैसले ने एनसीपी को दो गुटों में बांट दिया: शरद पवार का एनसीपी-एसपी और अजित पवार का एनसीपी।
2024 के विधानसभा चुनावों में अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं, जबकि शरद पवार के गुट को केवल 10 सीटों पर ही सफलता मिली। इस अंतर ने दोनों गुटों के बीच टकराव को और बढ़ा दिया। ऐसे में, उनकी एक साथ मौजूदगी ने कई सवाल खड़े किए।
सगाई समारोह में भी साथ दिखे थे दोनों नेता
ये कोई पहली बार नहीं था जब शरद और अजित पवार एक साथ नजर आए। हाल ही में, अजित पवार के बेटे जय पवार की सगाई समारोह में भी शरद पवार शामिल हुए थे। ये दूसरी बार था जब दोनों नेताओं की मुलाकात ने सुर्खियां बटोरीं।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही ये मुलाकात एक शैक्षणिक मंच पर हुई हो, लेकिन इसका असर महाराष्ट्र की सियासत पर पड़ सकता है। कुछ का कहना है कि ये 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले दोनों गुटों के बीच सुलह की शुरुआत हो सकती है। वहीं, कुछ विश्लेषक इसे केवल एक संयोग मान रहे हैं।
क्या है रयत शिक्षण संस्था?
रयत शिक्षण संस्था महाराष्ट्र में शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी नाम है। इसकी स्थापना 1919 में हुई थी, और ये आज भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। संस्था के अध्यक्ष शरद पवार लंबे समय से इसके विकास में योगदान दे रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएं
फिलहाल, शरद पवार और अजित पवार ने इस मुलाकात को राजनीतिक रंग देने से इनकार किया है। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। क्या ये मुलाकात दोनों गुटों के बीच सुलह की ओर एक कदम है? या फिर ये केवल एक औपचारिक आयोजन था? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ हो सकते हैं।
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