महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में एक ऐसी घटना घटी है, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की है। ये मुलाकात राज ठाकरे के मुंबई स्थित शिवतीर्थ बंगले पर हुई। इस मुलाकात का समय भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि किसी भी वक्त महाराष्ट्र में नगर निगम चुनावों की घोषणा हो सकती है।
क्या है इस मुलाकात की पृष्ठभूमि?
इस मुलाकात की नींव शिवसेना के वरिष्ठ नेता और मंत्री उदय सामंत ने रखी थी। उदय सामंत पिछले कुछ समय से राज ठाकरे के साथ संपर्क में थे और उनकी दो बार मुलाकात भी हो चुकी थी। उस समय सामंत ने साफ किया था कि उनकी मुलाकात को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए। लेकिन अब एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे की इस बैठक ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को हवा दे दी है।
इस मुलाकात में उदय सामंत के साथ-साथ राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे, मनसे नेता अविनाश देशपांडे और अन्य नेता भी मौजूद थे।
उदय सामंत की भूमिका और बयान
उदय सामंत ने इस मुलाकात में एकनाथ शिंदे के एकता राजदूत की भूमिका निभाई। मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए सामंत ने कहा, “मैं कुर्ला में एक कार्यक्रम में था, जब मुझे एकनाथ शिंदे का संदेश मिला। मैं तुरंत यहां पहुंचा। मैं पहले ही बता चुका हूं कि मैं राज ठाकरे से दो बार क्यों मिला था। मुझे इस मुलाकात का कारण नहीं पता, मैं केवल शिंदे जी के आदेश पर यहां आया हूं।”
सामंत ने ये भी कहा कि अगर ये मुलाकात कोई सकारात्मक परिणाम लाती है, तो ये सभी के लिए खुशी की बात होगी। उन्होंने ये भी संकेत दिया कि यदि राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे एक साथ आएं, तो ये महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।
क्या हैं राजनीतिक निहितार्थ?
इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, खासकर तब जब नगर निगम चुनाव नजदीक हैं। शिवसेना और मनसे के बीच किसी तरह का गठबंधन या सहयोग महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। उदय सामंत का ये बयान कि “यदि राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे साथ आएं, तो ये खुशी की बात होगी”, इस ओर इशारा करता है कि कुछ बड़ा होने की संभावना है।
आगे क्या?
अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे की इस मुलाकात से क्या परिणाम निकलता है। क्या ये मुलाकात केवल एक औपचारिक भेंट थी, या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक रणनीति है? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब देंगे।
वैसे आप इस मुलाकात के बारे में क्या सोचते हैं? क्या ये महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ लाएगी? अपनी राय कमेंट में साझा करें।
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