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New School Curriculum: महाराष्ट्र में 2025-26 से नया पाठ्यक्रम लागू, NEP 2020 का चरणबद्ध कार्यान्वयन

New School Curriculum: महाराष्ट्र में 2025-26 से नया पाठ्यक्रम लागू, NEP 2020 का चरणबद्ध कार्यान्वयन

New School Curriculum: शिक्षा किसी भी देश के भविष्य की नींव होती है। यह न केवल बच्चों को ज्ञान देती है, बल्कि उन्हें जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार भी करती है। महाराष्ट्र सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) के तहत, राज्य में स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह नया पाठ्यक्रम 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से चरणबद्ध तरीके से लागू होगा। पुरानी 10+2+3 संरचना को छोड़कर अब 5+3+3+4 की नई संरचना को अपनाया जाएगा, जो बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित है। यह बदलाव नई पीढ़ी के लिए शिक्षा को और अधिक आधुनिक, लचीला और उपयोगी बनाने का वादा करता है।

महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल, 2025 को एक सरकारी आदेश जारी कर इस नई पहल की घोषणा की। इस आदेश के अनुसार, नया स्कूल पाठ्यक्रम (New School Curriculum) सबसे पहले कक्षा एक में 2025-26 से लागू होगा। इसके बाद, 2026-27 में कक्षा दो, तीन, चार और छह में, 2027-28 में कक्षा पांच, सात, नौ और ग्यारह में, और अंत में 2028-29 में कक्षा आठ, दस और बारह में यह पाठ्यक्रम लागू होगा। इसके अलावा, बालवाटिका 1, 2 और 3 जैसे प्रारंभिक चरणों को महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से लागू किया जाएगा। यह सुनियोजित चरणबद्ध दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि बदलाव धीरे-धीरे लेकिन प्रभावी ढंग से हो।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) को 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। यह नीति 1968 और 1986 की पुरानी नीतियों की जगह लेती है और शिक्षा को अधिक समावेशी, रचनात्मक और कौशल-आधारित बनाने पर जोर देती है। महाराष्ट्र अब 23 अन्य राज्यों के साथ मिलकर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा विकसित पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम को अपनाएगा। हालांकि, इस पाठ्यक्रम को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और शैक्षिक विशेषताओं के अनुरूप ढाला जाएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसके लिए संशोधित राज्य पाठ्यक्रम ढांचा (एससीएफ) तैयार किया है, जो प्रारंभिक और स्कूली शिक्षा दोनों स्तरों को कवर करता है।

इस नई नीति का एक खास पहलू है भाषा नीति में बदलाव। मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। वहीं, अन्य माध्यमों के स्कूलों में छात्र अपनी माध्यम भाषा के साथ-साथ मराठी और अंग्रेजी भी सीखेंगे। यह कदम बच्चों को बहुभाषी बनाने और उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखने की दिशा में उठाया गया है। उदाहरण के तौर पर, एक मराठी माध्यम के स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा हिंदी और अंग्रेजी सीखकर न केवल अपनी स्थानीय भाषा में मजबूत होगा, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर भी संवाद करने में सक्षम होगा।

नए पाठ्यक्रम में शामिल होने वाले छात्रों को इस बदलाव में मदद करने के लिए विशेष ब्रिज कोर्स (सेतु अभ्यास) तैयार किए जाएंगे। ये कोर्स पुराने और नए पाठ्यक्रम के बीच के अंतर को कम करने में मदद करेंगे। मिसाल के तौर पर, अगर कोई छात्र कक्षा दो में पुराने पाठ्यक्रम के तहत पढ़ रहा था और अब उसे नए पाठ्यक्रम में जाना है, तो सेतु अभ्यास उसे नए विषयों और शिक्षण शैली से परिचित कराएगा। साथ ही, बालभारती, जो राज्य की पाठ्यपुस्तक संस्था है, सभी जरूरी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराएगी। इससे हर छात्र को अपनी भाषा में शिक्षा मिल सकेगी।

नया स्कूल पाठ्यक्रम (New School Curriculum) केवल किताबों तक सीमित नहीं है। यह बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान देता है। मूल्यांकन प्रणाली में भी बदलाव होगा। एससीईआरटी एक समग्र प्रगति पत्रक (होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड) मॉडल के आधार पर दिशा-निर्देश जारी करेगा। यह मॉडल न केवल शैक्षिक प्रदर्शन को मापेगा, बल्कि बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विकास को भी महत्व देगा। मान लीजिए, कोई बच्चा गणित में अच्छा है, लेकिन सामाजिक गतिविधियों में कम सक्रिय है। नया मूल्यांकन सिस्टम उसकी कमजोरियों को समझने और सुधारने में मदद करेगा। इसके अलावा, कक्षा का समय, शिक्षण अवधि और स्कूल कैलेंडर भी नई संरचना के अनुसार बदले जाएंगे।

यह नया पाठ्यक्रम बच्चों को रटने की बजाय समझने, सोचने और रचनात्मकता विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। गणित और विज्ञान जैसे विषयों में रचनात्मकता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही, भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) जैसे नए विषय कक्षा तीन से पांच तक पढ़ाए जाएंगे। कक्षा छह से आठ तक इतिहास, नागरिक शास्त्र और भूगोल को सामाजिक विज्ञान के एक विषय में जोड़ा जाएगा, जिसमें कला शिक्षा और प्री-वोकेशनल कौशल जैसे नए क्षेत्र भी शामिल होंगे। कक्षा नौ और दस में कला शिक्षा, व्यावसायिक कौशल, सामाजिक हस्तियां और पर्यावरण शिक्षा जैसे विषय जोड़े जाएंगे। इससे बच्चों को न केवल किताबी ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक और जीवन से जुड़े कौशल भी मिलेंगे।

महाराष्ट्र का यह कदम शिक्षा को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। नई पीढ़ी, जो डिजिटल दुनिया में तेजी से बदलाव देख रही है, इस पाठ्यक्रम के जरिए 21वीं सदी के कौशलों से लैस होगी। यह बदलाव बच्चों को न केवल बेहतर शिक्षा देगा, बल्कि उन्हें वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए भी तैयार करेगा।

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