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Acharya Mahashraman birthday: अहिंसा के दूत आचार्य महाश्रमण जी का 64वां जन्मदिन और उनकी प्रेरणा

Acharya Mahashraman birthday: अहिंसा के दूत आचार्य महाश्रमण जी का 64वां जन्मदिन और उनकी प्रेरणा

Acharya Mahashraman birthday: आज का दिन बेहद खास है। यह वह दिन है जब एक ऐसी शख्सियत का जन्म हुआ, जिन्होंने अपने जीवन को अहिंसा, शांति और मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। हम बात कर रहे हैं जैन धर्म के तेरहवें आचार्य और तेरापंथ श्रमणसंघ के प्रमुख आचार्य महाश्रमण जी की, जो आज अपना 64वां जन्मदिवस (64th birthday) मना रहे हैं। यह अवसर केवल जैन समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो विश्व शांति और नैतिक जीवन के पक्षधर हैं। देश-विदेश में उनके लाखों अनुयायी इस दिन को उत्सव की तरह मनाते हैं, जिसमें विश्व शांति (world peace) का संदेश गूंजता है।

आचार्य महाश्रमण जी का जन्म 6 मई 1962 को राजस्थान के सरदारशहर में हुआ। उस समय उनका नाम मोहन कुमार था। बचपन से ही उनके मन में दुनिया के प्रति जिज्ञासा और आध्यात्मिक खोज की चमक दिखाई देती थी। ऐसा लगता था मानो वे किसी बड़े मकसद के लिए इस धरती पर आए हों। छोटी उम्र में ही उन्होंने सांसारिक जीवन को अलविदा कहने का फैसला किया। केवल 19 साल की उम्र में, 9 मई 1970 को, उन्होंने तेरापंथ के नवें आचार्य तुलसी जी के मार्गदर्शन में दीक्षा ली और मुनि महाश्रमण बन गए। उनकी यह यात्रा केवल शुरुआत थी।

आचार्य महाश्रमण जी की तपस्या और ज्ञान ने उन्हें जल्द ही तेरापंथ संघ में एक खास स्थान दिलाया। 6 मई 2010 को, जब आचार्य तुलसी का निर्वाण हुआ, तब मुनि महाश्रमण जी को तेरापंथ जैन संघ का तेरहवां आचार्य चुना गया। उस दिन से उन्होंने अहिंसा और शांति (non-violence and peace) के संदेश को और भी गहराई से दुनिया तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। उनके नेतृत्व में तेरापंथ संघ ने न केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्रों में भी नई ऊंचाइयां छुईं।

उनका सबसे बड़ा योगदान उनकी पदयात्राएं हैं, जिन्होंने लाखों लोगों के दिलों को छुआ। आचार्य महाश्रमण जी ने भारत, नेपाल और भूटान के कोने-कोने तक पैदल यात्रा की। उनकी अहिंसा यात्रा, जो 2010 से 2015 तक चली, 50,000 किलोमीटर से अधिक की थी। इस दौरान उन्होंने लोगों को शांति, सद्भाव और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा दी। इसके बाद विश्व शांति यात्रा (2016-2019) में उन्होंने विभिन्न धर्मों के बीच एकता का संदेश फैलाया। उनकी वर्तमान जीवन विज्ञान यात्रा में मानसिक शांति, पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवनशैली पर जोर दिया जा रहा है। ये यात्राएं केवल पैदल चलने की बात नहीं थीं; ये एक तरह से दुनिया को यह दिखाने का प्रयास थीं कि प्यार और अहिंसा से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।

आचार्य महाश्रमण जी ने समाज को कई अनमोल मूल्य दिए। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित किया। उनके नशामुक्ति अभियान ने हजारों जिंदगियों को नई दिशा दी। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने वृक्षारोपण और जल संरक्षण के महत्व को समझाया। उनकी शिक्षाएं जाति, धर्म या लिंग के भेद को मिटाकर सभी को एकसाथ जोड़ती हैं। यह सामाजिक समरसता का वह संदेश है, जो आज की युवा पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है।

वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि एक प्रकांड विद्वान और लेखक भी हैं। उन्होंने संस्कृत, प्राकृत, हिंदी और अंग्रेजी जैसी भाषाओं में गहरा अध्ययन किया है। उनकी किताबें जैसे “जीवन विज्ञान” आधुनिक जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाने का रास्ता दिखाती हैं। “अहिंसा: समय की माँग” में उन्होंने बताया कि आज के दौर में अहिंसा (non-violence) कितनी जरूरी है। उनकी रचना “प्रज्ञावाणी” नैतिकता और आत्मिक उत्थान पर आधारित है। इन किताबों में विज्ञान और दर्शन का ऐसा मेल है जो युवाओं को खासतौर पर आकर्षित करता है। उनके प्रवचन सुनने वाले को ऐसा लगता है मानो वे सीधे दिल से दिल तक बात कर रहे हों।

आचार्य महाश्रमण जी के नेतृत्व में कई सामाजिक और शैक्षिक कार्य भी हो रहे हैं। तुलसी विद्या निकेतन जैसे स्कूल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। लाडनूं में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय जैन दर्शन और आधुनिक शिक्षा का अनूठा केंद्र है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपूर्वा हॉस्पिटल गरीबों को मुफ्त इलाज देता है। इसके अलावा, रक्तदान शिविर और चिकित्सा शिविर नियमित रूप से आयोजित होते हैं। जब कोविड-19 महामारी ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था, तब उनके मार्गदर्शन में ऑक्सीजन सिलिंडर, भोजन और दवाओं का वितरण किया गया। बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में भी उनके अनुयायियों ने राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

इस खास दिन पर, यानी उनके 64वें जन्मदिवस (64th birthday) पर, देश-विदेश में प्रार्थना सभाएं, सेमिनार और रक्तदान शिविर आयोजित हो रहे हैं। लोग उनके संदेश को अपनाकर एक बेहतर समाज बनाने का संकल्प ले रहे हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सादगी, करुणा और शांति से भरा जीवन कितना सुंदर हो सकता है।

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