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Maharashtra Tech Boost for Road Safety: महाराष्ट्र पुलिस को मिले टैबलेट और बॉडी कैमरे, सड़क सुरक्षा के लिए सरकार की नई तकनीकी पहल

Maharashtra Tech Boost for Road Safety: महाराष्ट्र पुलिस को मिले टैबलेट और बॉडी कैमरे, सड़क सुरक्षा के लिए सरकार की नई तकनीकी पहल

Maharashtra Tech Boost for Road Safety: भारत में सड़क सुरक्षा को और बेहतर बनाने की दिशा में महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब राजमार्ग पुलिस को आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है, ताकि सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सके और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। इसके लिए सरकार ने कई नए उपकरणों और तकनीकों को अपनाने का फैसला किया है, जो न केवल पुलिस के काम को आसान बनाएंगे, बल्कि आम लोगों के लिए भी सड़कों को सुरक्षित करेंगे। इस पहल में टैबलेट, बॉडी कैमरे, और स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट (Automated Driving Tests) जैसी सुविधाएं शामिल हैं, जो सड़क सुरक्षा (Road Safety) को एक नया आयाम दे रही हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने राजमार्ग पुलिस को 2,384 टैबलेट देने की मंजूरी दी है, जिनका इस्तेमाल सड़क दुर्घटनाओं को दर्ज करने के लिए किया जाएगा। इन टैबलेट्स में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा विकसित iRAD (इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस) और eDAR (इलेक्ट्रॉनिक डिटेल्ड एक्सीडेंट रिपोर्ट) जैसे ऐप्स होंगे। ये टैबलेट्स न केवल दुर्घटनाओं की सटीक जानकारी दर्ज करेंगे, बल्कि दुर्घटना स्थल का सही भौगोलिक स्थान भी रिकॉर्ड करेंगे। इससे पीड़ितों को मुआवजा देने और सड़क दुर्घटनाओं के बार-बार होने वाले स्थानों को चिह्नित करने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, अगर कोई सड़क बार-बार दुर्घटनाओं का गवाह बन रही है, तो इन टैबलेट्स से मिले डेटा के आधार पर वहां सुधारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। इस तरह की तकनीक से सड़क सुरक्षा को बढ़ाने में एक नई शुरुआत हो रही है।

इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार ने एक और अनोखा कदम उठाया है। अब परिवहन विभाग के अधिकारियों को बॉडी कैमरे (Body Cameras) दिए जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले वाहनों की जानकारी दर्ज करने के लिए होगा। इन कैमरों की खासियत यह है कि इन्हें वाहनों को रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये कैमरे स्वचालित रूप से नियम तोड़ने की घटनाओं को रिकॉर्ड करेंगे, जैसे कि गलत पार्किंग या ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन। इन कैमरों से ली गई फुटेज को अदालत में सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि पुलिस और वाहन चालकों के बीच होने वाली बहस को भी कम किया जा सकेगा। यह तकनीक ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।

मुंबई की सड़कों पर अवैध रूप से पार्क किए गए या खराब हो चुके वाहनों को हटाने के लिए भी सरकार ने नई व्यवस्था की है। मुंबई ट्रैफिक पुलिस को दो हिप्पो क्रेन और 41 सामान्य क्रेन दिए जा रहे हैं, जिनकी लागत 8.20 करोड़ रुपये है। अभी तक मुंबई में केवल चार क्रेन उपलब्ध थे, जिसके कारण सड़क पर खराब वाहनों को हटाने में दो से तीन घंटे लग जाते थे। इन नए क्रेन की मदद से सड़कों को जल्दी खाली किया जा सकेगा, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या में कमी आएगी। यह कदम खासकर मुंबई जैसे व्यस्त शहर में बहुत जरूरी है, जहां हर दिन लाखों वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं।

सड़क सुरक्षा (Road Safety) को और मजबूत करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया को भी और पारदर्शी बनाया है। अब ड्राइविंग टेस्ट के लिए स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (Automated Driving Tests) शुरू किए जा रहे हैं। ये ट्रैक 38 जगहों पर बनाए जा रहे हैं, जिनमें मुंबई और ठाणे में भी एक-एक ट्रैक शामिल है। इनकी लागत 330 करोड़ रुपये है। इन ट्रैक्स पर ड्राइविंग टेस्ट के लिए एआई कैमरे और सेंसर का इस्तेमाल होगा, जो पूरी तरह से मानवीय हस्तक्षेप को खत्म कर देंगे। अभी तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए RTO अधिकारी वाहन चालक की जांच करते थे, और ज्यादातर मामलों में बिना किसी रुकावट के लाइसेंस दे दिए जाते थे। लेकिन अब इन स्वचालित ट्रैक्स पर 18 ड्राइविंग स्किल्स की जांच होगी, और 14 स्किल्स का रिजल्ट सिस्टम खुद तैयार करेगा। पुणे के पास भोसरी में ऐसा एक केंद्र पहले से ही काम कर रहा है, जो इस नई तकनीक का एक उदाहरण है।

ये सारी पहल इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं का 82 प्रतिशत कारण चालकों की गलतियां होती हैं। स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट (Automated Driving Tests) के जरिए केवल उन लोगों को लाइसेंस मिलेगा, जो वाकई में ड्राइविंग के लिए सक्षम होंगे। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि लोगों का भरोसा भी इस सिस्टम पर बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक नियमों का पालन करने में सक्षम नहीं है, तो उसे लाइसेंस देने से पहले उसकी स्किल्स की सख्त जांच होगी। यह सिस्टम निष्पक्ष और तकनीक पर आधारित है, जो सड़क सुरक्षा को और बेहतर बनाएगा।

महाराष्ट्र सरकार की इन पहलों से साफ है कि सड़क सुरक्षा को लेकर एक नया दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। टैबलेट और बॉडी कैमरे (Body Cameras) जैसे उपकरण पुलिस को और सक्षम बनाएंगे, वहीं स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक यह सुनिश्चित करेंगे कि सड़कों पर केवल योग्य चालक ही वाहन चलाएं। इन कदमों से न केवल सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि आम लोगों का जीवन भी सुरक्षित होगा।

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