महाराष्ट्रमुंबई

FYJC Admission Reservation Row: FYJC प्रवेश में अल्पसंख्यक कॉलेजों में SC/ST/OBC आरक्षण पर बॉम्बे हाई कोर्ट की रोक

FYJC Admission Reservation Row: FYJC प्रवेश में अल्पसंख्यक कॉलेजों में SC/ST/OBC आरक्षण पर बॉम्बे हाई कोर्ट की रोक

FYJC Admission Reservation Row: महाराष्ट्र में फर्स्ट ईयर जूनियर कॉलेज (FYJC) प्रवेश (First Year Junior College Admissions) की प्रक्रिया इस साल एक बड़े विवाद का केंद्र बन गई है। अल्पसंख्यक संस्थानों में एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण (SC/ST/OBC Reservation) को लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले ने न केवल छात्रों और अभिभावकों के बीच भ्रम पैदा किया, बल्कि इसे कानूनी चुनौती भी मिली। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 जून 2025 को इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसने सरकार को झटका दिया। यह खबर नई पीढ़ी के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, जो शिक्षा और सामाजिक समानता के मुद्दों पर गहरी रुचि रखती है।

पिछले साल तक अल्पसंख्यक संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया एक तय पैटर्न पर चलती थी। इन संस्थानों में 50 प्रतिशत सीटें संबंधित अल्पसंख्यक समुदाय के लिए, 5 प्रतिशत प्रबंधन कोटा के लिए और बाकी 45 प्रतिशत सीटें सभी वर्गों के छात्रों के लिए खुली रहती थीं। इन 45 प्रतिशत सीटों पर कोई आरक्षण लागू नहीं होता था, और मेरिट के आधार पर प्रवेश दिए जाते थे। लेकिन इस साल, 6 मई 2025 को जारी सरकारी आदेश ने इस व्यवस्था को बदल दिया। इस आदेश के क्लॉज 11 में कहा गया कि अगर अल्पसंख्यक कोटे में सीटें खाली रहती हैं, तो पहले भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के बीच आपसी समायोजन होगा। इसके बाद भी अगर सीटें खाली रहती हैं, तो उन्हें केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया (First Year Junior College Admissions) के तहत भरा जाएगा, जिसमें एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण (SC/ST/OBC Reservation) लागू होगा।

इस बदलाव ने अल्पसंख्यक संस्थानों में हंगामा मचा दिया। मुंबई और सोलापुर के कई प्रतिष्ठित कॉलेज, जैसे जय हिंद, केसी, एचआर और सेंट जेवियर्स, साथ ही महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस ने इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी। इन संस्थानों का कहना था कि यह फैसला मनमाना और गैरकानूनी है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 15(5) के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को सामाजिक आरक्षण लागू करने से छूट है। इसके अलावा, अनुच्छेद 30(1) उन्हें अपने शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार देता है। वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे और एससी नायडू ने कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार ने बिना किसी परामर्श के यह फैसला थोपा, जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में 12 जून 2025 को सुनवाई करते हुए अल्पसंख्यक संस्थानों को अंतरिम राहत दी। जस्टिस मकरंद एस करनिक और नितिन आर बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के तर्कों में दम है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में 11वीं कक्षा के प्रवेश के लिए सामाजिक आरक्षण लागू नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह ऑनलाइन प्रवेश पोर्टल को इस आदेश के अनुरूप अपडेट करे। कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि 2019 में सरकार ने ऐसा ही एक सरकारी आदेश वापस लिया था। इसके बावजूद, सरकारी वकील नेहा भिड़े ने कोर्ट में कहा कि उनके पास इस आदेश को वापस लेने के लिए कोई निर्देश नहीं हैं।

यह विवाद इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि इसने हजारों छात्रों के भविष्य को प्रभावित किया है। इस साल महाराष्ट्र में 20 लाख से अधिक सीटों के लिए 9,281 जूनियर कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया के तहत छात्रों को अपनी पसंद के कॉलेज और स्ट्रीम चुनने का मौका मिलता है। लेकिन अल्पसंख्यक संस्थानों में 45 प्रतिशत खुली सीटों पर आरक्षण लागू होने से सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए सीटें कम हो गईं, जिससे कट-ऑफ बढ़ने की आशंका थी। इससे नई पीढ़ी के बीच शिक्षा में समान अवसरों को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

सरकारी आदेश के मुताबिक, अगर अल्पसंख्यक कोटे की सीटें खाली रहती हैं, तो उन्हें केंद्रीकृत प्रक्रिया के तहत भरा जाएगा। लेकिन अल्पसंख्यक संस्थानों का कहना है कि सरकार ने इस नियम को गलत तरीके से सभी खुली सीटों पर लागू कर दिया। इससे उनकी स्वायत्तता पर असर पड़ रहा है। कोर्ट ने सरकार को चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने और अगली सुनवाई 6 अगस्त 2025 को तय की है। इस बीच, प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को पोर्टल अपडेट करना होगा।

यह मामला नई पीढ़ी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शिक्षा, समानता और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन का सवाल उठाता है। अल्पसंख्यक संस्थानों का तर्क है कि उनकी स्वायत्तता का सम्मान होना चाहिए, जबकि सरकार एकसमान नीति लागू करने की बात कह रही है। यह मुद्दा न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी विचारणीय है।

#FYJCAdmissions #MinorityInstitutions #SCSTOBCReservation #BombayHighCourt #MaharashtraEducation

ये भी पढ़ें: Mumbai Gold Robbery: मुंबई में दिन-दहाड़े 3 करोड़ का सोना लूट, बाइक सवार डकैतों की सनसनीखेज वारदात

You may also like