महाराष्ट्र

Nashik Fake Land Deal: नासिक में 300 करोड़ का जमीन घोटाला, फर्जी किरायानामे से पुलिस को ठगा

Nashik Fake Land Deal: नासिक में 300 करोड़ का जमीन घोटाला, फर्जी किरायानामे से पुलिस को ठगा

Nashik Fake Land Deal: नासिक शहर में एक ऐसी साजिश का पर्दाफाश हुआ है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया, बल्कि बड़े-बड़े प्रभावशाली नामों को भी सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। यह मामला है 300 करोड़ रुपये की फर्जी जमीन सौदे (Fake Land Deal) का, जिसमें नासिक डायोसेसन ट्रस्ट एसोसिएशन (एनडीटीए) की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेचने की कोशिश की गई। नासिक पुलिस (Nashik Police) ने इस मामले में 37 से अधिक लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है, जिसमें ट्रस्टी, खरीदार और सहमति देने वाले शामिल हैं। यह खबर नई पीढ़ी के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, जो डिजिटल युग में ऐसी धोखाधड़ी के प्रति जागरूक होना चाहती है।

यह पूरा प्रकरण तब सामने आया जब पुलिस विभाग ने स्वयं इस साजिश को उजागर किया। नासिक के शरणपुर इलाके में सिग्नल के पास स्थित एक मूल्यवान जमीन, जो 1990 से पुलिस विभाग के कब्जे में थी, को नासिक डायोसेसन काउंसिल (एनडीसी) ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेचने की कोशिश की। असल में यह जमीन नासिक डायोसेसन ट्रस्ट एसोसिएशन (एनडीटीए) की थी, जिसकी स्थापना 1913 के कंपनी अधिनियम के तहत 1943 में हुई थी। भारत की स्वतंत्रता के बाद यह ट्रस्ट 1950 में मुंबई सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम के तहत आया। लेकिन कुछ लोगों ने समान नाम का फायदा उठाकर 1954 में ‘एनडीसी’ नाम से एक नई संस्था बनाई और इस जमीन को अपने नाम कर लिया। इस धोखाधड़ी ने न केवल ट्रस्ट को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सरकार को भी 300 करोड़ रुपये का चूना लगाया।

पुलिस की शिकायत के अनुसार, एनडीसी ने फर्जी किरायानामा बनाकर पुलिस विभाग को भी भ्रमित किया। 1996 में, जब यह जमीन पहले से ही पुलिस के कब्जे में थी, एनडीसी और हरियाली एग्रीकल्चर के बीच एक नोटरी एग्रीमेंट किया गया। इस सौदे में जमीन की कीमत को जानबूझकर केवल 1.87 करोड़ रुपये दिखाया गया, जो उस समय की बाजार कीमत से बहुत कम थी। इससे न केवल स्टाम्प ड्यूटी में भारी नुकसान हुआ, बल्कि यह भी साबित हुआ कि यह लेन-देन पूरी तरह फर्जी था। इस सौदे को मंजूरी देने के लिए मुंबई के धर्मादाय आयुक्त कार्यालय को भी गलत जानकारी दी गई, जबकि स्थानीय धर्मादाय आयुक्त (नासिक विभाग) की अनुमति जरूरी थी।

नासिक पुलिस (Nashik Police) ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई की। आडगांव पुलिस थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक तुषार रतन देवरे ने शिकायत दर्ज की, जिसके बाद जोन 1 के पुलिस उपायुक्त किरणकुमार चव्हाण ने बताया कि मामले की गहन जांच चल रही है। जांच में सामने आया कि एनडीसी ने नाम की समानता का फायदा उठाकर सरकारी कार्यालयों में एनडीटीए की जमीन को अपनी बताकर बेचने की कोशिश की। नगरभूमापन विभाग की 3 जून 2025 की रिपोर्ट ने भी इस धोखाधड़ी की पुष्टि की, जिसके आधार पर अब यह जमीन एनडीटीए के नाम दर्ज कर दी गई है।

इस साजिश में शहर के कुछ बड़े बिल्डर और प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं, जिनके नाम सामने आने से नासिक की सियासत में खलबली मच गई है। यह जमीन शरणपुर इलाके में स्थित है, जहां पुलिस उपायुक्त (जोन-1) का कार्यालय, एक निजी स्कूल और अन्य सरकारी इमारतें हैं। इस इलाके की जमीन की कीमत आज करोड़ों में है, जिसके चलते इस फर्जी जमीन सौदे (Fake Land Deal) ने इतना बड़ा रूप लिया। पुलिस का कहना है कि इस धोखाधड़ी से सरकार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, और यह राशि अभी और बढ़ सकती है।

यह मामला नई पीढ़ी के लिए एक सबक है। आज के डिजिटल युग में, जहां जमीन के सौदे ऑनलाइन पोर्टल्स और दस्तावेजों के जरिए हो रहे हैं, फर्जीवाड़े की संभावना बढ़ गई है। नासिक डायोसेसन ट्रस्ट जैसे संगठनों की संपत्ति को निशाना बनाकर लोग नामों की समानता और जाली दस्तावेजों का सहारा लेते हैं। इस मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने एक मिसाल कायम की है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकारी सिस्टम को और कितना मजबूत करना होगा।

#NashikLandScam #FakeLandDeal #NashikPolice #NDTA #LandFraud

ये भी पढ़ें: Farmers Loan Waiver Protest: बच्चू कडू के आंदोलन ने हिलाई सरकार, अजित पवार ने दिया संवाद का भरोसा

You may also like